नई दिल्ली। कार्यकाल के साढ़े चार साल बीत जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रणनीतिक नीति समूह (एसपीजी) में कुछ अहम बदलाव करने का फैसला किया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल इसकी अध्यक्षता करेंगे. पहले यह जिम्मा कैबिनेट सचिव के पास था. अब वे अजीत डोभाल को रिपोर्ट करेंगे. इस लिहाज से देखा जाए तो अजीत डोभाल अब देश में सबसे शक्तिशाली नौकरशाह हो जाएंगे. एसपीजी का गठन 1999 में किया गया था. इसका मकसद था बाहरी, आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मदद करना.
एसपीजी के सदस्यों में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, कैबिनेट सचिव, तीनों सेना प्रमुख, आरबीआई के गवर्नर, विदेश सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव और रक्षा सचिव शामिल होंगे. इनके अलावा रक्षा उत्पादन तथा आपूर्ति विभाग के सचिव, रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और कैबिनेट सचिवालय के सचिव भी इसमें होंगे. यही नहीं, राजस्व, आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष विभागों एवं इंटेलिजेंस ब्यूरो के शीर्ष अधिकारी भी पैनल में शामिल होंगे. अन्य मंत्रालयों और विभागों को भी आवश्यकता पड़ने पर बैठकों में आमंत्रित किया जाएगा. अजीत डोभाल ही एसपीजी की बैठक बुलाएंगे.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया एनडीटीवी को बताया, ‘इसमें कुछ भी नया नहीं है. ये ग्रुप पिछली संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार के कार्यकाल में भी इसी तरह से काम कर रहा था. इसकी सिफारिश कारगिल युद्ध के दौरान रही कमियों की जांच करने के लिए गठित की गई समिति ने की थी.’ वहीं, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एसपीजी में बदलाव किए जाने से सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं. एक सेवानिवृत नौकरशाह का कहना है कि ऐसा करने से एनएसए पहले से ज्यादा शक्तिशाली हो जाएगा और लोकतंत्र में शक्तियों का केंद्रित होना स्वस्थ परंपरा नहीं है.