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बाराबंकी में शौचालय के नाम पर 15 करोड़ की धांधली, अब हो रही रिकवरी की कवायद

बाराबंकी/लखनऊ। जिले में शौचालय के नाम से आए बजट में अफसरों ने लगभग 15 करोड़ रुपये की धांधली कर दी। जब उच्चाधिकारियों को पता चला तो आनन-फानन रकम वापस कराने में लग गए हैं। अब तक आठ करोड़ रुपये की रिकवरी चुकी है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 के बेसलाइन सर्वे के अनुसार चार लाख 64 हजार शौचालयों का निर्माण होना था। इसके लिए वित्तीय वर्ष में 300 करोड़ 81 लाख रुपये आ चुके हैं जबकि 75 हजार शौचालय बनाने का पैसा नहीं है। इसके लिए जिला प्रशासन ने शासन से बजट की मांग की है।

जरूरत से अधिक धनराशि गांवों को भेजी

जिले में पैसों की कमी होने के बावजूद भी पंचायती राज विभाग के अफसरों ने लगभग सवा सौ ग्राम पंचायतों को जरूरत से अधिक धनराशि मुहैया करा दी। यह राशि करीब 15 करोड़ रुपये है। मुख्य विकास अधिकारी ने प्रकरण की जानकारी होने पर ग्राम पंचायतों का चिन्हांकन कराकर रिकवरी किए जाने का आदेश दिया है। अब तक लगभग आठ करोड़ रुपयों की रिकवरी की जा चुकी है, तकरीबन सात करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए ग्राम पंचायतों को नोटिस दी गई है। बताया जा रहा है कि जिन ग्राम पंचायतों ने पैसा वापस नहीं दिया है, उन्हें चार दिन का और समय दिया गया है। इसके बाद भी पैसा ग्राम पंचायतें नहीं लौटाती हैं तो उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की कार्रवाई होगी।

अब हो रही रिकवरी की कवायद

स्वच्छ भारत मिशन के जिला सलाहकार उद्धव राय ने बताया कि ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिव और एडीओ पंचायतों की लापरवाही से जरूरत से अधिक की धनराशि की डिमांड कर दी गई थी। यही कारण है कि शौचालय निर्माण का आया पैसा पंचायतों में अतिरिक्त चला गया है, जिसके रिकवरी के आदेश हो चुके हैं।

बनिगा शौचालय बंधि रहीं बकरी

फैजाबाद विकास खंड तारुन में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय सरकारी धन के दुरुपयोग का नमूना बन गए हैं। शौचालयों में कहीं बकरी बांधी जा रही है तो कहीं सब्जी उगाई जा रही है। यह हाल ब्लॉक के दर्जनों गांवों में बने सैकड़ों शौचालयों का है। विद्यापुर गांव के रामकुमार पुत्र रामलौट का शौचालय है। इसकी सीट को मिट्टी से पाटकर भेड़ी के बच्चों को रखा जा रहा है। इसी गांव के रामजनम शौचालय के किनारे टटिया लगाकर उसपर सब्जी उगाई जा रही है। सोनेडाड़ गांव की कौशिल्या पत्नी राजदेव ने बगैर दरवाजे के शौचालय को घर के कबाड़ से भर दिया है। यही हाल 80 प्रतिशत शौचालयों का है।

 

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