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हाथ छोटा-बड़ा होने से मेडिकल कॉलेज में नहीं मिला दाखिला, सुप्रीम कोर्ट ने छात्रा को दिलाया न्याय

राजकोट। कहते हैं कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो रास्ते में आई बाधाएं भी व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ पातीं. गुजरात के राजकोट जिले की हिना मेवासीया ने इसे सत्य साबित कर दिखाया है. दरअसल, हिना जन्मजात शारीरिक रूप से विकलांग है. उसका एक हाथ-छोटा और एक बड़ा है. ऐसे में नीट में अच्छे नंबरों से पास होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज ने यह कहकर उसे एडमिशन देने से मना कर दिया कि, ऑपरेशन या किसी एमरजेंसी के समय काम करने में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

राजकोट के आटकोट की रहने वाली इस छात्रा ने 89 पीआर (पर्सेन्टाइल रैंक) के साथ 12वीं पास की, नीट में उसने 247 अंक हासिल किए. हिना एमबीबीएस कर गरीबों के लिए काम करना चाहती है. उसने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी. लेकिन मेडिकल कॉलेज ने छोटे हाथों का हवाला देकर उसे एडमिशन देने से इनकार कर दिया.

हाई कोर्ट से मिली निराशा
हिना हार मानने वालों में से नहीं थी. उसने मेडिकल कॉलेज के खिलाफ हाई कोर्ट जाने का फैसला किया. जुलाई 2018 में उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हालांकि यहां भी उसे हार का सामने करना पड़ा. कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज द्वारा इस दिव्यांग लड़की को एडमिशन न देने के फैसले को सही ठहराया.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया नया जीवन
हाई कोर्ट से न्याय न मिलने के बाद हिना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले में 22 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, छोटा हाथ डॉक्टर नहीं बनने का कारण नहीं हो सकता. कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को आदेश दिया कि वह तुरंत हिना को एडमिशन दे ताकि उसका एक साल बरबाद न हो. इस फैसले ने दिव्यांग छात्रा में एक नया उत्साह भर दिया है. हिना एक बार फिर से मेडिकल कॉलेज में एडमिशन की प्रक्रिया को बड़े उत्साह से पूरी कर रही है ताकि वह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा कर सके.

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