नई दिल्ली। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को अचानक छु्ट्टी पर भेजे जाने के मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जिन पर आरोप हैं वे जांच एजेंसी में नहीं रह सकते. सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक फैसला दिया है. आदेश किसी के पक्ष या विपक्ष में नहीं है. जांच से दूर रखने पर दोनों अफसर छुट्टी पर भेजे गए हैं.
अरुण जेटली ने कहा है कि सीबीआई में जो मौजूदा घटनाक्रम चल रहा है वो सकारात्मक है. सरकार पूरी कोशिशों के साथ सीबीआई की साख को बनाए रखना चाहती है. सरकार किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है.
बता दें कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को अचानक छु्ट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में इस दौरान वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने आलोक वर्मा की पैरवी की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ सीवीसी 2 हफ्ते में जांच पूरी करे. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.
इस जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीवीसी, केंद्र सरकार और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को उनकी याचिकाओं के संबंध में नोटिस जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले में बदले गए पांच जांच अधिकारियों की जानकारी बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपने को कहा है.
हालांकि सॉलीसिटर जनरल तुषार महता ने कोर्ट से कहा कि इस मामले की जांच इतने कम समय में नहीं हो सकती, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच इतने ही दिनों में पूरी होनी चाहिए. इसे लंबा नहीं खींचना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि जब तक मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में होगी तब तक सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव नीति से संबंधी कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर राव कोई भी बड़ा फैसला न लें.