मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर का कहना है कि उनके करियर के शुरुआती दिनों में ‘इंटेलिजेंट’ दिखने’ की वजह से एक डायरेक्टर ने उन्हें काम देने से इनकार कर दिया था. भास्कर ने जियो मामी मुंबई फिल्म उत्सव के इतर कहा, ‘‘मेरे ख्याल से सिनेमा जगत में आने वाले हर किसी शख्स को अपने लुक की वजह से किसी न किसी तरह की अस्वीकृति का सामना करना पड़ा है. अन्यथा लोग अपने मेकअप पर इतना पैसा खर्च नहीं करते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सब व्यक्ति की मानसिकता को दर्शाता है. जब मैं मुंबई आई थी तो पहली मुलाकात में एक डायरेक्टर ने मुझे यह कहते हुए काम देने से इनकार कर दिया कि आप बहुत बुद्धिमान दिखती हैं. मैं अब तक इसका मतलब समझ नहीं पाई हूं.’’
उन्होंने कहा कि यह सबसे बेहतर है कि ऐसी चीजों को नजरअंदाज किया जाए और काम पर ध्यान दिया जाए. इस फिल्म उत्सव में स्वरा की फिल्म ‘शेम’ का प्रदर्शन हुआ है. यह फिल्म अनुशा बोस ने निर्देशित की है.
वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न महामारी की तरह
एक्ट्रेस स्वरा भास्कर का कहना है कि वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न महामारी की तरह है और वह फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री के जरिए इस संबंध में जागरूकता लाने की उम्मीद करती हैं. एक्ट्रेस शुरू से भारत के #MeToo मूवमेंट की समर्थक रही हैं.
‘सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन’ (सिंटा) ने हाल ही में ऐलान किया कि वह एंटरटेनमेंट में यौन उत्पीड़न जैसे मामलों से निपटने के लिए समिति गठित करेगा और स्वरा भास्कर, रेणुका शहाणे और रवीना टंडन जैसी एक्ट्रेस इसकी सदस्य होंगी.
समिति में अपनी भूमिका के बारे में स्वरा ने कहा, “मैं सिंटा द्वारा गठित सह-समिति का हिस्सा हूं जो वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ इसके सदस्यों द्वारा जागरूकता वर्कशॉप आयोजित करेगा. हमारे मनोरंजन उद्योग में कुल 24 यूनियन हैं और इसके पांच लाख से ज्यादा सदस्य हैं, तो हम इस मुद्दे पर इन यूनियनों के साथ काम करने की कोशिश करेंगे.”
यहां वेडिंग जंक्शन शो 2018 में शामिल होने आईं एक्ट्रेस ने कहा, “जब आप #MeToo की कहानियां सुनते हैं तो फिर आपको अहसास होता है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले महामारी की तरह हैं. यह एक बीमारी की तरह है इसलिए इस सह-समिति द्वारा जागरूकता लाना बेहद जरूरी है.