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ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर बढ़ाया जाएगा जीएसटी कलेक्शन

नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) अधिकारी टैक्स चोरी रोकने के लिए टैक्सपेयर्स को कानून का डर दिखाने के साथ दूसरे तरीकों को भी इस्तेमाल करेंगे। टैक्सपेयर्स के व्यवहार के मुताबिक उनसे टैक्स वसूली का रास्ता अपनाया जाएगा। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए व्यवहार में सुधार की व्यवस्थाएं हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने टैक्सपेयर्स के व्यवहार और तौर-तरीकों के अध्ययन की रणनीति बनाने के लिए एक टीम का गठन किया है। बोर्ड अलग-अलग प्रकार के टैक्सपेयर्स के साथ अलग-अलग तरीके अपना सकता है।

चार श्रेणियों में बांटा जाएगा
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको जैसे देश नीतियां बनाने और टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए ‘व्यवहार पद्धति पर आधारित योजना’ अपनाते हैं। अधिकारी ने बताया कि व्यवहार पद्धति के आधार पर जीएसटी डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स को चार अलग-अलग श्रेणियों में बांटेगा। ये श्रेणियां- टैक्स चुकाने से बचने (डिसएंगेज्ड), आशंकाग्रस्त टैक्सपेयर्स जो चिंता दूर होने पर टैक्स देने वाले (रेसिस्टर्स), कर भुगतान में दिक्कतों का सामना करने वाले (ट्रायर्स) और समर्थक (सपॉर्टर्स) की होंगी।

दी जाएगी सहूलियत
अधिकारी ने योजना के बारे में बताते हुए कहा कि जो टैक्सपेयर्स इकाइयां जानबूझकर टैक्स देने से बचना नहीं चाहती उनके मामले में टैक्स विभाग नरम रुख अपनाएगा और उन्हें मेल भेज कर टैक्स भुगतान के लिए समझाएगा। इसके अलावा विभाग टैक्सपेयर्स को धन की तंगी के समय टैक्स का भुगतान किस्तों में करने की कानूनी सहूलियतों की भी जानकारी देगा। अधिकारी ने कहा कि टैक्स अधिकारी व्यवहार पद्धति के आधार पर टैक्सपेयर्स की विभिन्न श्रेणियों से निपटने के लिए अलग-अलग रुख अपनाएंगे।

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