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देश की राजधानी में हर दिन 2 बच्चियों के साथ होता है रेप, रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की महिला कर्मी यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चियों से जानकारी हासिल करने के लिए तरह तरह के तरीके अपनाती हैं. इनमें पीड़ित बच्चियों को खिलौने और पंसदीदा खाना देने से लेकर कहानियां सुनाना और उनकी मां की तरह कपड़े पहनना शामिल हैं. दिल्ली पुलिस की ओर से हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना दो बच्चियों से बलात्कार किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 15 अक्टूबर तक 739 बच्चियों से बलात्कार किया गया है जबकि 2017 में 921 ऐसे मामले रिपोर्ट हुए थे.

नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त मधुर वर्मा ने बताया कि बच्ची के साथ बलात्कार के मामले की जांच और बच्चियों से बातचीत करने के लिए काफी संवेदनशीलता की जरूरत होती है. वर्मा ने एक घटना के बारे में बताया कि गोल मार्केट इलाके में स्थित नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के स्कूल परिसर में अगस्त में एक बिजली वाले ने दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची से कथित रूप से बलात्कार किया.

उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे अक्सर सदमे में रहते हैं. इसलिए पुलिस ने उनसे जानकारी हासिल करने के लिए पेशेवरों की मदद ली. वर्मा ने कहा कि बाल काउंसलरों में बहुत सब्र होता है और वे ऐसे मामलों के लिए प्रशिक्षित होते हैं. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बच्ची से बातचीत करते हुए और जानकारी हासिल करते हुए बेहद सावधानी बरती जाती है क्योंकि पुलिस को यह सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि पीड़िता दोबारा सदमे में नहीं जाए.

वर्मा ने कहा कि बाल काउंसलर आम तौर पर पीड़िता से बात करते हैं और बच्ची को अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में जानकारी देते हैं और बच्ची से जानकारी हासिल करने के लिए कहानी बयां करने के अलग अलग तरीके अपनाते हैं. अपराधी की पहचान स्थापित करने के लिए संदिग्धों के बारे में विभिन्न तरीके से बच्ची से पूछताछ की जाती है.

बच्चियों से आमतौर पर आरोपियों के कपड़ों के बारे में पूछा जाता है.  साथ में यह भी पूछा जाता कि आरोपी पहले कभी इलाके में दिखा था. बच्चियों से बलात्कार के मामलों की जांच करने वाली महिला अधिकारियों ने बताया कि वे यह सुनिश्चित करती हैं कि वे बच्चियों से बातचीत करने के दौरान सादे कपड़ों में रहे.

वे बच्चियों को थानों से दूर रखने की पूरी कोशिश करती हैं. एक महिला अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की गुजारिश पर बताया, ‘‘ हम उनकी मां की तरह कपड़े पहनते हैं और उन्हें सहज बनाने का प्रयास करते हैं. उन्हें खाने की पसंदीदा चीज देते हैं और उनका ध्यान भटकाने के लिए खिलौने देते हैं.  उन्हें सहज बनाने का प्रयास करते हैं क्योंकि वे पहले से दर्दनाक स्थिति से गुजरी होती हैं.’’

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