मुंबई। मुंबई में भर्ती करने से महानगरपालिका के कम से कम दो अस्पतालों के कथित इनकार के बाद 26 साल की एक महिला ने लोकल ट्रेन में ही बच्चे को जन्म दिया. यह घटना 25 अक्टूबर की है. महिला के पति ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रसव पीड़ा से गुजर रही उसकी पत्नी को दो अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया और सेंट्रल मुंबई के दूसरे अस्पताल में ले जाने को कहा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले को गंभीरता से लेते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने संबंधित अस्पतालों के कर्मियों के “अनैतिक एवं गैर पेशेवर” आचरण को लेकर जांच बिठाने का फैसला किया है.
सुरेखा तिवारी ने सेंट्रल मुंबई के नायर अस्पताल जाने के दौरान दादर रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले लोकल ट्रेन के कंपार्टमेंट में बच्चे को जन्म दिया. भायन्दर और कांदिवली के महानगरपालिका चालित दो अस्पतालों के मना करने के बाद महिला का पति सुशील तिवारी उसे महानगरपालिका के प्रमुख चिकित्सा केंद्रों में से एक नायर अस्पताल ले गया.
तिवारी ने दावा किया कि वह सुरेखा को पहले तेम्भा अस्पताल ले गया जहां अस्पताल कर्मियों ने उसे दवा दी और कहा कि वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहते और उसे शताब्दी अस्पताल ले जाने को कहा. उसने दावा किया कि शताब्दी अस्पताल पहुंचने पर नर्स ने सुरेखा को भर्ती करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें तेम्भा अस्पताल से केस के कागज चाहिए.
पेपर लेकर लौटने पर वहां उसे नायर अस्पताल जाने को कहा और कोई कारण भी नहीं बताया. बीएमसी चालित अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर शशिकांत वाडेकर ने कहा कि अगर यह घटना हुई है तो सचमुच “दुर्भाग्यपूर्ण’’ है. उन्होंने कहा, “इस घटना के लिए जांच बिठाई जाएगी. अगर अस्पताल के कर्मचारी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ”