2019 विश्व कप में जब साल भर से कम का समय और दर्जन भर से कुछ ज्यादा मैच बचे हों तो हर एक पहलू पर विचार करना जरूरी है. वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया सीरीज को इसी तरह के पहलुओं पर विचार करने के लिहाज से देखा और खेला जा रहा है. चार मैचों के बाद टीम इंडिया को 2-1 की बढ़त है. एक मैच टाई हो गया था. वनडे सीरीज का आखिरी मैच एक नवंबर को खेला जाना है. अब तक हुआ कुछ यूं है कि इस सीरीज में विराट कोहली की एक पुरानी परेशानी का इलाज मिल गया है लेकिन एक नई परेशानी सामने खड़ी है.
अंबाती रायडू के तौर पर विराट कोहली को नंबर चार का स्थायी बल्लेबाज मिल गया है. पिछले विश्व कप से लेकर अब तक नंबर चार पर करीब एक दर्जन बल्लेबाजों को आजमाया गया था लेकिन सही खिलाड़ी मिला नहीं था. अब अंबाती रायडू यहां ‘फिक्स’ हैं. मुंबई में खेले गए चौथे वनडे में शानदार शतक जड़कर उन्होंने अपनी दावेदारी पक्की कर ली है. अब परेशानी है स्पिनर्स को लेकर. हाल के दिनों में टीम इंडिया में कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल वनडे टीम का हिस्सा रहे हैं.
हालिया अच्छे प्रदर्शन के बाद रवींद्र जडेजा ने टीम में वापसी की है. इस सीरीज के दौरान खेले गए मैचों के बाद पहले स्पिनर के तौर पर कुलदीप यादव तो तय हैं लेकिन प्लेइंग 11 में दूसरा स्पिनर कौन होगा इसको लेकर भ्रम पैदा हो रहा है. कुलदीप यादव रन तो दे रहे हैं लेकिन साथ साथ अपने कप्तान को विकेट भी दिला रहे हैं.
चहल लगातार हो रहे हैं नाकाम
हालिया मैचों में यजुवेंद्र चहल लगातार नाकाम रहे हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे मैच में वो प्लेइंग 11 में जगह बनाने में कामयाब नहीं हुए. इससे पहले विशाखापत्तनम और पुणे वनडे में उन्हें 1-1 विकेट ही मिला था. चहल की गेंदबाजी वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों के लिए बड़ी चुनौती नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि परंपरागत तौर पर भी बाएं हाथ के बल्लेबाज लेग स्पिनर को आसानी से खेलते हैं. चहल की गेंद बाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए टप्पा खाने के बाद अंदर आती है. जिस पर बड़े शॉट्स खेलना उनके लिए आसान रहता है. वेस्टइंडीज की टीम के टॉप ऑर्डर में शिमरॉन हेयमैयर जैसा बाएं हाथ का बल्लेबाज है. जिसने यजुवेंद्र चहल को काफी छक्के मारे हैं.
इससे उलट कुलदीप यादव सीरीज में अब तक 8 विकेट ले चुके हैं. सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की फेहरिस्त में वो पहले नंबर पर हैं. कुलदीप यादव बाएं हाथ से गेंदबाजी करते हैं. बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए उनकी गेंद टप्पा खाने के बाद बाहर निकलती है. लिहाजा उन्हें कामयाबी ज्यादा मिलती है और वो कप्तान की पहली पसंद हैं. मुंबई में विराट कोहली ने चहल को प्लेइंग 11 से बाहर बिठाकर केदार जाधव को मौका दिया क्योंकि बतौर ऑफ स्पिनर केदार जाधव उन्हें ज्यादा उपयोगी लगे.
फील्डिंग में बदलाव से हो सकता है फायदा
अब से कुछ महीने पहले स्पिन गेंदबाजी बिल्कुल सेट थी. कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल शानदार फॉर्म में थे. लेकिन हाल फिलहाल में 20-30 ओवर के बीच स्पिन गेंदबाजों को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिली है. जिसकी एक वजह है यजुवेंद्र चहल की बेरंग गेंदबाजी. यजुवेंद्र चहल को पिटाई से बचाने के लिए विराट कोहली को प्लान ‘बी’ पर काम करना होगा. होता ये है कि स्पिन गेंदबाज के खिलाफ जब रन बनना शुरू होता है तो विराट उस पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे हैं. इससे बचने के लिए यजुवेंद्र चहल को गेंदबाजी कराते वक्त विराट कोहली को मिडऑन और मिडविकेट के इलाके में फील्डर लगाना होगा.
आम तौर पर होता ये है कि विराट कोहली डीप कवर पर फील्डर लगाकर चहल से गेंदबाजी कराते हैं. जिससे उनके लिए रन बचाना मुश्किल होता है. धोनी अपनी कप्तानी में मिडऑन और मिडविकेट के इलाके में फील्डर जरूर रखते थे. इंग्लैंड में विश्व कप से पहले विराट कोहली को अपनी टीम के दो टॉप स्पिनर का चयन करना होगा. कुलदीप यादव के अलावा वो दूसरा स्पिन गेंदबाज तलाशने के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है.