कोलंबो। श्रीलंका की राजनीति में मचे सत्ता के संघर्ष में चीन का एंगल भी सामने आ गया है. श्रीलंका के बर्खास्त किए गए पीएम विक्रम रानिलसिंघे के एक मंत्री ने आरोप जड़ा है कि चीन महिंदा राजपक्षे को भारी मात्रा में पैसा दे रहा है, जिससे वह रानिलसिंघे के सांसदों को खरीद सकें. श्रीलंका इस समय सबसे बड़े सत्ता संघर्ष में उलझा हुआ है. राष्ट्रपति सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बना दिया था.
इसके बाद श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने राजपक्षे की नियुक्ति को अवैध मानते हुए रानिल विक्रमसिंघे को ही प्रधानमंत्री के रूप में मान्यता दी थी. इसके बाद श्रीलंका में सत्ता का संघर्ष और उलझ गया था. विक्रमसिंघे को अमेरिका सहित दूसरे देशों का समर्थन प्राप्त है, वहीं चीन महिंदा राजपक्षे के समर्थन में खड़ा है.
क्यों खड़ा है चीन राजपक्षे के समर्थन में
महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए ही चीन ने श्रीलंका में भारी निवेश किया था. श्रीलंका पर चीन के इसी भारी भरकम निवेश का परिणाम ये हुआ कि श्रीलंका का एक बंदरगाह पूरी तरह चीन के कब्जे में चला गया है. हिंद महासागर में चीन हमेशा ही भारत को घेरने के लिए उसके पड़ोसी देशों को मोहरा बनाता रहा है. अब वह फिर से राजपक्षे को समर्थन देकर अपने पैर श्रीलंका में मजबूत करना चाहता है.
सत्ता का संघर्ष…
श्रीलंका के सदन में 225 सदस्य हैं. इसमें 105 रानिलविक्रमसिंघे के हैं. वहीं महिंदा राजपक्षे और सिरिसेना के पास मिलाकर 98 सदस्य हैं. जाहिर है पूरे नंबर किसी के पास नहीं हैं. ऐसे में खरीद फरोख्त जारी है. ऐसे में विक्रमसिंघे के एक अधिकारी रंजन रामानायके का आरोप है चीन सांसदों को खरीदने के राजपक्षे को पैसा दे रहा है. उन्होंने कहा, चीन इन लाखों पैसों से सिर्फ एमपी ही नहीं खरीद रहा है, वह हमारे पूरे देश को खरीद रहा है.