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दिल्ली के प्रदूषण पर चौंकाने वाली रिपोर्ट- पराली नहीं है असली वजह

नई दिल्ली। देश की राजधानी और आसपास के शहरों में सर्दियों का मौसम प्रदूषण के लिहाज से सबसे गंभीर होता है. सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों और कैसे नवंबर महीने की शुरुआत से ठीक पहले शहर के चारों तरफ स्मॉग की चादर, हवा को जहरीला बना देती है.

TERI (The Energy And Resources Institute) द्वारा जारी की गई एक स्टडी रिपोर्ट में प्रदूषण से जुड़े कई सवालों के जवाब सामने आए हैं. टेरी के लिए पर्यावरण और प्रदूषण मामलों पर काम कर रहे सुमित शर्मा ने ‘आजतक’ के साथ एक दिलचस्प स्टडी रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि सर्दियों के मौसम में 36% प्रदूषण दिल्ली का अपने स्त्रोत से जनरेट होता है. जबकि बाकी एनसीआर से 34% प्रदूषण दिल्ली में आता है. साथ ही 30% प्रदूषण एनसीआर और इंटरनेशनल बाउंड्री से आता है.

क्या है प्रदूषण फैलने की वजह

अहम सवाल ये है कि सर्दियों में दिल्ली में किन वजहों से कितना प्रदूषण फैलता है. TERI के मुताबिक PM 2.5 के लिए जब आकलन किया गया तो हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

कौन सा वाहन फैलाता है कितना प्रदूषण

PM 2.5 के लिए सिर्फ वाहनों का आंकड़ा देखा जाए तो इससे होने वाले प्रदूषण का कुल योगदान लगभग 28% है. इस 28% में भारी वाहन जैसे ट्रक और ट्रैक्टर से सबसे ज्यादा 9% प्रदूषण फैलता है.

दो पहिया वाहनों से 7% प्रदूषण फैलता है. तीन पहिया वाहनों से 5%, जबकि चार पहिया वाहनों से 3% और बसों से 3% प्रदूषण फैलता है. साथ ही LCVs वाहन का प्रदूषण फैलाने में 1% योगदान पाया गया है.

BS4 इंजन स्कीम से कितना फायदा

TERI से जुड़े सुमित शर्मा ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाले BS4 इंजन की स्कीम को लागू किया गया है और 2020 तक BS6 स्टैण्डर्ड लागू होगा जो प्रदूषण से निपटने के लिहाज से बढ़िया कदम है. हालांकि TERI का मानना है कि जब तक पुरानी गाड़ियों को बदलकर नई गाड़ियों को सड़क पर नहीं उतारा जाएगा, तबतक पुरानी तकनीक की वजह से प्रदूषण बढ़ता रहेगा.

धूल से कितना प्रदूषण

दिल्ली में PM 2.5 के स्तर में धूल से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान 18% है. इस 18% में सड़क पर धूल से प्रदूषण 3%, निर्माण कार्य से 1% जबकि अन्य तमाम वजहों से 13% प्रदूषण फैलता है.

दिल्ली में PM 2.5 के स्तर में इंडस्ट्री का प्रदूषण फैलाने में योगदान 30% है. इस 30% में पावर प्लांट का 6%, ईंटों का 8%, स्टोन क्रशर का 2% जबकि अन्य छोटी बड़ी इंडस्ट्री से 14% प्रदूषण फैलता है. तो वहीं दिल्ली के रिहायशी इलाकों का प्रदूषण फैलाने में 10% का योगदान है.

पराली से महज 4% प्रदूषण

सबसे दिलचस्प बात यह है कि सर्दियों के पूरे मौसम में खेतों में लगाई जाने वाली आग (पराली) और बायोमास से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान महज 4% है.

यहा ये जानना बेहद जरूरी है कि अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली का योगदान प्रदूषण फैलाने में कितना है. TERI से जुड़े सुमित शर्मा बताते हैं कि पराली एक एपिसोड की तरह है. जो लगभग 15 से 20 दिनों के बीच में सबसे अधिक असर पैदा करती है. इस दौरान किसान सबसे ज्यादा पराली जलाते हैं जिस वजह से प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर पहुंच जाता है. इन 15 से 20 दिनों में दिल्ली में 30% प्रदूषण का योगदान पराली जलाने की वजह से होता है. लेकिन सर्दियों के पूरे मौसम का आकलन किया जाए तो पराली जलाने की वजह से फैलने वाले प्रदूषण का योगदान बेहद कम हो जाता है.

कैसे बढ़ता है PM 10

TERI की रिपोर्ट में सर्दियों के मौसम में PM 10 के स्तर पर भी स्टडी की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों से फैलने वाला प्रदूषण 24%, धूल का 25%, इंडस्ट्री का 27%, पराली और बायोमास से 4% है, जबकि रिहायशी इलाकों से 9% प्रदूषण फैलता है.

सुमित शर्मा के मुताबिक स्टडी रिपोर्ट बताती है कि एनसीआर के 3 मिलियन यानि 30 लाख घरों में अब भी बायोमास कुकिंग की जाती है. इससे फैलने वाले प्रदूषण का असर दिल्ली की हवा में भी होता है. इसके अलावा सिर्फ दिल्ली में वाहन, इंडस्ट्री और बायोमास बर्निंग, प्रदूषण के बढ़ते स्तर की तीन मुख्य वजह हैं.

                                                                            (फोटो-AP)

एनसीआर में क्या है प्रदूषण की वजह

इसके अलावा TERI ने दिल्ली से सटे हुए शहर में प्रदूषण की स्तिथि पर भी एक स्टडी की है. सुमित शर्मा का कहना है कि नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम जैसे शहर दिल्ली के प्रदूषण से प्रभावित हैं. नोएडा में 40% प्रदूषण की वजह दिल्ली का प्रदूषण है. इसके अलावा गाजियाबाद में इंडस्ट्री का प्रदूषण बेहद अधिक है. तो वहीं गुरुग्राम में वाहनों का प्रदूषण बेहद प्रभावी है. जबकि पानीपत में बायोमास बर्निंग प्रदूषण की मुख्य वजह है.

आपको बता दें कि TERI द्वारा यह स्टडी रिपोर्ट साल 2016 में तैयार की गई थी. जिसे इसी साल अगस्त के महीने में रिलीज किया गया है. दिल्ली में प्रदूषण की वजहों को जानने के लिए अलग-अलग रिपोर्ट्स आती रही हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि बाहरी समस्याओं की बजाय दिल्ली को खुद के प्रदूषण से निपटने के लिए समाधान निकालने की जरूरत है.

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