नई दिल्ली। संविधान निर्माताओं ने समाज की दबी-कुचली जाति के लोगों के उत्थान के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था, लेकिन आजादी के सात दशक बाद यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है. जातियों से आगे बढ़कर आरक्षण का मुद्दा धर्म की ओर बढ़ता दिख रहा है. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग की है. उन्होंने मुस्लिमों को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर कोर्ट जाने का फैसला लिया है. ओवैसी की इस मांग को तेलंगाना विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.
ओवैसी ने शुक्रवार को एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने देश में मुस्लिमों के शिक्षा और रोजगार के स्तर का ब्योरा दिया है. इसी आधार पर ओवैसी ने मुस्लिमों को आरक्षण देने की मांग की है. इस वीडियो के साथ ओवैसी ने लिखा है कि देश का मुसलमान भी आरक्षण का हकदार है, क्योंकि पीढ़ियों तक वे गरीबी में रहे हैं.
ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, ‘रोजगार और शिक्षा में पिछड़े मुसलमानों को वंचित रखना अन्याय है. मैं लगातार कहता आया हूं कि मुस्लिम समुदाय में ऐसी पिछड़ी जातियां हैं जो पीढ़ियों से गरीबी में है. आरक्षण के जरिए इन्हें बाहर निकाला जा सकता है.’ अपनी इस मांग के साथ ओवैसी ने एक विडियो भी ट्वीट किया है.
Depriving backward Muslims of their fair share in public employment & education is a grave injustice. I’ve consistently argued that there are backward castes in Muslims who have lived for generations in a cycle of poverty. Reservation is a tool that will break this cycle pic.twitter.com/oc8Ls5Rdxa
इसके जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि महाराष्ट्र के मुसलमानों को आरक्षण की जरूरत क्यों है? उनके द्वारा शेयर विडियो में कहा गया है कि महाराष्ट्र में मुसलमान कुल आबादी का 11.5% हैं और इनमें से 60 फीसदी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन करने को मजबूर हैं.
मालूम हो कि गुजरात में पाटीदार समाज के लोग आरक्षण की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन कर चुके हैं. इसके अलावा राजस्थान और हरियाणा में गुर्जर समाज के लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है बिहार और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार उच्च जाति की श्रेणी में हैं. इसके बावजूद ये तीनों जातियां अलग-अलग तरीके से आरक्षण की मांग कर रहे हैं. एक दिन पहले ही महाराष्ट्र में सरकार ने मराठा आरक्षण को मंजूरी दी है. मौजूदा दौर में कोई भी राजनीतिक दल या सरकार ऐसी नहीं है जो आरक्षण का विरोध कर सके.