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राजस्‍थान: 20 ऐसे दल जिन्‍होंने केवल 1 प्रत्‍याशी को मैदान में उतारा

अलवर। राजस्थान में जहां एक ओर बड़े दल कांग्रेस और भाजपा लोकतंत्र के महान पर्व चुनाव में अपनी दुंदुभी बजाए हुए हैं वहीं छोटे-छोटे दल भी खूब मेहनत करके इस पर्व की शोभा में चार चांद लगा रहे हैं. यहां कम से कम 20 दल महज एक प्रत्याशी के साथ अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में हैं.

देश के सबसे बड़े राज्यों में शुमार इस राज्य की 200 विधानसभा सीटों के लिए 88 दलों के 2,294 उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी है. इन चुनावों में 4.74 करोड़ मतदाताओं को सरकार के बारे में अपना फैसला सात दिसंबर को ईवीएम में बंद करना है. एक प्रत्याशी का निधन होने से एक सीट पर चुनाव टल गया है और अब जोर आजमाइश 199 सीटों के लिए है.

यहां मुख्य मुकाबला विपक्षी कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच है. इससे बेखौफ कई छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार कम बजट और संसाधनों की सीमाबद्धता के बावजूद इन चुनावों को अपनी तरफ से रोचक बनाने और लोकतंत्र के इस महान पर्व की शोभा बढ़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं.

इनमें से कई उम्मीदवार लोगों के बीच अपने नए विचारों को रख कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में हैं तो कुछ को आशा है कि कमल और पंजे से उकताई जनता शायद उनके यहां समय से पहले ही होली खिलवा दे.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भाजपा ने सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं तो वहीं कांग्रेस ने 195 और बसपा ने 190 लोगों को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी ने 142 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में भेजा है.

15 दल ऐसे जिन्‍होंने दो सीटों पर उतारे प्रत्‍याशी
इस भारी भरकम संख्या के बीच कुल 840 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी दांव खेल दिया है. कम से कम 20 दल ऐसे हैं जिन्होंने एक ही प्रत्याशी को उतारा है जबकि 15 दल ऐसे हैं जिन्होंने दो सीटों पर और 34 दल ऐसे हैं जिन्होंने तीन से लेकर 20 लोगों को चुनावी दंगल में भेजा है.

अलवर जिले की 11 विधानसभा सीटों पर करीब 145 उम्मीदवार खुद को आजमा रहे हैं. भाकपा के नेता और अलवर (शहर) सीट से चुनाव लड़ रहे तेजपाल सैनी ने कहा कि चुनाव लड़ना अहम है क्योंकि इससे हम अपनी अपनी पार्टी की विचारधारा को लोगों तक पहुंचा पाते हैं. अगर हम लड़ेंगे ही नहीं तो लोगों को कैसे पता चलेगा कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा कोई और विकल्प भी है.

भाकपा की राज्य इकाई के महासचिव नरेंद्र आचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी ने ‘‘सांप्रदायिक शक्तियों को हराने’’ के लिए माकपा, जद(यू), सपा, माकपा (माले) और भाकपा (यूनाइटेड) के साथ मिल कर एक लोकतांत्रिक मोर्चे का गठन किया है.

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