नई दिल्ली। नोएडा प्राधिकरण में 954 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) मोहन राठी को सीबीआई द्वारा सरकारी गवाह बनाए जाने का विरोध किया था.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का कोई आधार नहीं बनता, ऐसे में हम याचिका खारिज करते हैं. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यादव सिंह की याचिका खारिज कर दी थी. सीबीआई कोर्ट भी उस सीए को सरकारी गवाह घोषित कर चुकी है. यादव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने सीए मोहन राठी को सीबीआई कोर्ट द्वारा अभियोजन पक्ष का गवाह घोषित करने के आदेश की वैधता को चुनौती दी है. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मांग को ठुकरा दिया था.
आपको बता दें कि यादव सिंह के भ्रष्टाचारों और आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में सीबीआई जांच कर रही है. इस केस में यादव सिंह की पत्नी व बेटा समेत पूरा परिवार और कुछ रिश्तेदारों और उसके खास रहे प्राधिकरण इंजीनियरों को भी आरोपी बनाया गया है. यादव सिंह के खिलाफ गाजियाबाद की सीबीआई जेल में सुनवाई चल रही है. यादव सिंह काफी समय से गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं. उनके बेटे और पत्नी को भी सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले यादव सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने सीए मोहन राठी को सीबीआई द्वारा सरकारी गवाह बनाए जाने का विरोध किया था. यादव सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने सीए मोहन राठी को सीबीआई कोर्ट द्वारा अभियोजन पक्ष का गवाह घोषित करने के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति डीके सिंह की पीठ इसे खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अभियुक्त (यादव सिंह) को किसी सह अभियुक्त को सरकारी गवाह बनाने के आदेश को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. इस हाईकोर्ट के फैसले को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है.