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चुनाव में शेख हसीना की जबर्दस्त जीत, फिर से चुनाव कराने से चुनाव आयोग का इनकार

ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाले गठबंधन ने रविवार को हुए आम चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करके लगातार तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित कर लिया. यह परिणाम बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों के लिए अच्छी खबर है, विशेष तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और कुछ छोटी पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन ने चुनाव परिणामों को ‘‘ढोंग’’ बताते हुए खारिज कर दिया और फिर से चुनाव कराने की मांग की. चुनाव आयोग ने हालांकि फिर से चुनाव कराने से इनकार कर दिया.

अवामी लीग नीत महागठबंधन ने 300 सदस्यीय संसद में 288 सीटें जीती. सत्ताधारी गठबंधन को कुल पड़े मतों में से करीब 82 प्रतिशत वोट मिले. गठबंधन का यह प्रदर्शन 2008 से अच्छा है जब उसे 263 सीटें मिली थीं. चुनाव आयोग सचिव हेलालुद्दीन अहमद ने बताया कि विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) को 15 प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ ही सात सीटें मिली हैं जबकि अन्य ने तीन सीटें जीती हैं. अहमद ने बताया कि एक संसदीय क्षेत्र में मतदान स्थगित कर दिया गया जबकि एक अन्य सीट का परिणाम एक उम्मीदवार के निधन के चलते घोषित नहीं किया गया.

परिणामों पर टिप्पणी करते हुए 71 वर्षीय हसीना ने कहा कि अवामी लीग महागठबंधन की चुनाव में जीत देश के लोगों के लिए दिसम्बर में एक और जीत है जो कि जीत का महीना है. उनका इशारा परोक्ष रूप से बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) की पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) पर दिसम्बर 1971 में मुक्तिसंग्राम में जीत की ओर था. हसीना ने कहा कि जीत उनके निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि यह देश और उसके लोगों के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन करके हसीना को चुनाव में उनकी जीत पर बधाई दी और बांग्लादेश को विकास के मोर्चे पर उसकी प्रगति में भारत का सहयोग जारी रखने का भरोसा दिया. हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध तेजी से प्रगाढ़ हुए हैं. भारत-बांग्लादेश के संबंधों में पिछले कुछ वर्ष “स्वर्णकाल” रहे जिस दौरान भूमि और तटीय सीमा मुद्दों का समाधान हुआ. बांग्लादेश ने भारत को यह भी भरोसा दिया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पड़ोसी देश के खिलाफ किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं करने देगा. दोनों देश 4,096 किलोमीटर सीमा साझा करते हैं.

इन नतीजों के बाद जहां शेख हसीना चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनेंगी वहीं उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया (73) भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद ढाका जेल में अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं. वह कथित तौर पर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त भी हैं. इस बीच विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट ने चुनाव आयोग से चुनाव को तत्काल रद्द करने और ‘निष्पक्ष अंतरिम सरकार’ के तहत नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की.

एनयूएफ प्रमुख एवं वरिष्ठ वकील कमाल हुसैन ने कहा, “आपको (चुनाव आयोग) यह चुनाव तत्काल रद्द करना चाहिए. हम तथाकथित परिणामों को खारिज करते हैं और एक निष्पक्ष सरकार के तहत नये चुनाव की मांग करते हैं.” बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम आलमगीर ने चुनावों को ‘क्रूर मजाक’ बताया. वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अनुपस्थिति में पार्टी की कमान संभाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव से साबित हुआ है कि किसी दल की सरकार के तहत मुक्त एवं निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव से साबित हुआ है कि पांच वर्ष पहले चुनाव से दूर रहने का बीएनपी का निर्णय गलत नहीं था.

नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) में विपक्षी दल जैसे बीएनपी, गोनो फोरम, जातीय समाजतांत्रिक दल-जेएसडी, नागरिक ओइक्या फ्रंट और कृषक श्रमिक जनता लीग घटक शामिल हैं.

बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त के एम नुरुल हुदा ने यद्यपि फिर से चुनाव कराने की किसी भी संभावना से इनकार किया जिसकी मांग विपक्ष द्वारा की गई है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले की रात में मतपत्र को गैर कानूनी ढंग से मतपेटियों में डालने का आरोप ‘‘पूरी तरह से गलत’’ है. हुदा ने मीडिया से कहा, ‘‘हम कोई नया चुनाव नहीं कराने जा रहे. राष्ट्रीय चुनाव फिर से कराने की कोई संभावना नहीं है.’’ सीईसी ने चुनाव पर पूर्ण संतोष व्यक्त किया और कहा कि चुनाव में 80 प्रतिशत मतदान हुआ.

चुनाव में धांधली के आरोपों पर जवाब देते हुए अवामी लीग के संयुक्त महासचिव अब्दुर रहमान ने कहा कि विदेशी और घरेलू पर्यवेक्षकों ने चुनाव प्रक्रिया पर संतोष जताया है और घोषणा की है कि यह निष्पक्ष तरीके से हुआ. 11वें आम चुनाव में प्रचंड जीत के बाद हसीना का लगातार तीसरी बार और कुल मिलाकर चौथी बार प्रधानमंत्री बनना तय है. हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं. 12 वर्षों से सत्ता से बाहर रहने वाली बीएनपी ने 2014 में 10वें आम चुनाव का बहिष्कार किया था. बीएनपी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है.

चुनाव आयोग ने कहा कि उसे हिंसा की खबरों के बीच पूरे देश से उम्मीदवारों से 100 से अधिक शिकायतें मिली हैं. ‘डेली स्टार’ की खबर के अनुसार चुनाव संबंधी हिंसा में एक सुरक्षाकर्मी सहित कम से कम 18 व्यक्तियों की मौत हो गई जबकि 200 अन्य घायल हो गए. चुनाव के लिए पूरे देश में हजारों सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों सहित 600,000 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी. चुनाव में 10.41 करोड़ लोग मतदान करने के लिए पात्र थे.

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