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राजस्थान: योजनाओं के नाम बदलने की कवायद शुरू, गहलोत सरकार ने लिया बड़ा फैसला

जयपुर। सरकार बदलते ही राजस्थान में अब योजनाओं का नाम भी बदलना शुरू हो गया है. बीजेपी सरकार में जिन नामों को बदला गया था उन नामों को कांग्रेस एक बार फिर बदल रही है और योजना को नए सिरे से शुरू कर रही है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से योजनाओं का नाम बदलने के बाद, अब दूसरे विभागों की योजनाएं भी सरकार ने बदलनी शुरू कर दी हैं. गहलोत सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश ने सबसे पहला काम अपने विभाग की योजना का नाम बदलने का किया है. उन्होंने विजय राजे सिंधिया स्वयं सहायता समूह योजना का नाम बदलकर फिर से प्रियदर्शनी आदर्श स्वयं सहायता समूह योजना करने का फैसला लिया है.

पिछली गहलोत सरकार में ही इस योजना को शुरू किया गया था, लेकिन राजस्थान में बीजेपी का शासन आते ही इस योजना का नाम बदला गया था उस समय मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के स्तर पर यह नाम बदला गया था वसुंधरा राजे ने अपनी मां के नाम से इस योजना का नाम रखा था. इससे पहले गहलोत सरकार ने भी इंदिरा गांधी के नाम से ही  प्रियदर्शनी आदर्श स्वयं सहायता समूह योजना की शुरुआत की थी.

अशोक गहलोत सरकार ने 2009 में प्रियदर्शनी आदर्श स्वयं सहायता समूह योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के जरिए सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है. महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है. महिलाओं को कई प्रकार के कार्य करने, जैसे सिलाई करना, स्वेटर बुनना, घर में बैठकर घरेलू कार्य के साथ-साथ अन्य कार्य करना जिससे महिलाओं को आमदनी के साथ अपने परिवार का पालन पोषण और अपने स्वयं के खर्चे से कर सके.

इसके साथ-साथ कई प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाती है. इसी वित्तीय वर्ष में वसुंधरा राजे सरकार ने इस योजना का नाम विजय राजे सिंधिया स्वयं सहायता समूह योजना कर दिया गया लेकिन अब कांग्रेस शासन आने के बाद फिर से इस योजना का पुराना नाम रखा जाएगा. महिला अधिकारिता के आयुक्त पीसी पवन ने कहा कि “सरकार ने विजय राजे सिंधिया स्वयं सहायता समूह योजना का नाम बदलने का फैसला लिया है इसलिए अब इस योजना का नाम फिर से प्रियदर्शनी योजना किया जाएगा. जल्द ही इस संबंध में विभाग की ओर से आदेश जारी किए जाएंगे.” इस योजना में पिछले साल 50 लाख रूपए का बजट आवंटित हुआ था. लेकिन इसमें से अब तक केवल 9 लाख ही योजना के लिए खर्च हो पाए हैं.

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