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BREAKING NEWS : पुण्य प्रसून बाजपेयी की पत्रकारिता पर उठे सवाल : मोदी सरकार के खिलाफ लगातार प्रायोजित खबरें और सर्वे प्लांट करने का लगा गंभीर आरोप

यूपी में मोदी की हार के लिए कुछ गैर-पेशेवर बच्चों से एक प्रायोजित सर्वे करा रहे थे पुण्य प्रसून

प्रियंका गांधी के आने से यूपी में मोदी की क्या स्थिति होगी, इस टापिक की आड़ में करा रहे थे एजेंडा सर्वे 

सूर्या समाचार चैनल के एडिटर इन चीफ पुण्य प्रसून बाजपेयी पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक्जीक्यूटिव एडिटर दिवाकर विक्रम सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. दिवाकर ने बताया कि पुण्य प्रसून मोदी सरकार के खिलाफ लगातार प्रायोजित खबरें और सर्वे प्लांट कर रहे थे जिसका उन्होंने विरोध किया. इस कारण उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश की गई. इसका प्रतिवाद करते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

दिवाकर विक्रम सिंह का कहना है कि वे पुण्य प्रसून बाजपेयी को पत्रकारिता का पुरोधा मानते थे और लेकिन यह आदमी बहुत बड़ा दंभी व घमंडी निकला. सूर्या में जो पुरानी टीम थी, उसके साथ ऐसे ट्रीट करता था जैसे यह टीम उसकी कृपा पर आश्रित हो. यह आदमी यूपी में मोदी की हार के लिए कुछ गैर-पेशेवर बच्चों से एक प्रायोजित सर्वे करा रहा था. प्रियंका गांधी के आने से यूपी में मोदी की क्या स्थिति होगी, इस टापिक की आड़ में एक एजेंडा सर्वे कराया जा रहा था और इसके बारे में आफिस में प्रोजेक्टर के जरिए बताया जा रहा था.

दिवाकर के मुताबिक इस सर्वे के तौर तरीके और पैरामीटर को लेकर जब सवाल उठाया गया तो पुण्य प्रसून नाराज हो गए और बदले की कार्रवाई करते हुए उन्हें अपने द्वारा लाए गए एक जूनियर शख्स के नीचे काम करने को कह दिया. जब इस बात की शिकायत चैनल के मालिक से की तो पुण्य भड़क गए और कहने लगे कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मालिक तक जाने की.

दिवाकर विक्रम का कहना है कि उन्हें चैनल में मालिक ही एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर लाए और उनसे अक्सर बातचीत हुआ करती है. यह जानकारी जब पुण्य प्रसून को दी गई तो उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि यह मालिक कौन होता है मेरे काम के बारे में तय करने वाला.

दिवाकर विक्रम सिंह

दिवाकर विक्रम कहते हैं- ”मैं खुद को अदना-सा पत्रकार मानता हूं लेकिन पत्रकारिता के सिद्धांतों से समझौता बर्दाश्त नहीं. पत्रकारिता प्रायोजित तरीके से खबरें और सर्वे बटोरते हुए किसी को टारगेट करके नहीं की जाती. जो चीज ग़लत है तो उसे ग़लत कहना जरूरी था जो मैंने किया. पुण्य चाहते थे कि जो भी उनके पहले से लोग सूर्या समाचार में कार्यरत हैं, वे बाहर चले जाएं, छोड़ जाएं. उन्हें लगता था कि हम लोगों को कुछ नहीं आता और सारा ज्ञान उन्हीं के पास है. हां ये सच है कि उनके तरीके से खबरों को प्रायोजित करके पेश करने की ताकत किसी में नहीं है. वे पुराने सदस्यों के साथ इस तरह पेश आ रहे थे मानों वो हम लोगों पर कृपा कर रहे हों. उनका ये कृपा भाव मुझे पसंद नहीं था. वे हम लोगों के पद और व्यक्ति की गरिमा का खयाल नहीं कर रहे थे. जब उनको लग गया कि मैं उनके पत्रकारिता करने के अंदाज़ से सहमत नहीं तो उन्होंने अपने द्वारा लाए गए मेरे से एक जूनियर पत्रकार के अधीन काम करने के लिए मुझे कह दिया. यह मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने इसकी शिकायत सूर्या समाचार चैनल के मालिक से की. मालिक ने पुण्य प्रसून से बात की. इससे भड़के पुण्य प्रसून ने मुझे बुलाकर कहा कि आपकी हिम्मत कैसे हुई मालिक तक जाने की और वो कौन होता है मेरे काम में दखल देने वाला. कुल मिलाकर ऐसी स्थितियां बना दी गईं कि पत्रकारिता के सिद्धांतों से समझौता करने की बजाय मैंने इस्तीफा दे दिया. मुझे अपने निर्णय पर कोई पछतावा नहीं है.”

सूर्या समाचार से इस्तीफा देने वाले एक्सक्यूटिव एडिटर दिवाकर विक्रम सिंह का आरोप है कि जब से पुण्य प्रसून वाजपेयी सूर्या समाचार में आए हैं, तब से केवल मोदी विरोध में प्रायोजित खबरों को चलाने की बात करते रहे हैं। इसके लिए वो तामाम तरह के कथित तथ्यों का सहारा ले रहे हैं। दिवाकर विक्रम सिंह का कहना है कि पुण्य प्रसून वाजपेयी के इस रवैये का जब उन्होंने विरोध किया तो यहीं से पुण्य के निशाने पर आ गए।

हालांकि इन सब के बीच चैनल के लॉन्चिंग के दिन दोपहर तक दिवाकर दफ्तर नहीं आए थे लेकिन बाद में उनको फोन करके पुण्य द्वारा बुलाया गया। आरोप है कि उसके बाद पुण्य अमर्यादित भाषा में बात करने लगे। पुण्य के साथ बिगड़ते रिश्ते की जानकारी दिवाकर ने चैनल के मालिक बीपी अग्रवाल को एक दिन पहले दी थी। इसके बाद पूण्य दिवाकर पर बिफर पड़े और कहा कि आपकी हिम्मत कैसे हुई मालिक से बात करने की, मालिक कौन होता है।

इस पर दिवाकर ने कहा कि मालिक ने हमें एक्सीक्यूटिव एडिटर के तौर पर बुलाया था इसलिए मैंने उनको ये जानकारी दी लेकिन पुण्य ने कहा कि आप फक्र महसूस कीजिए कि आप को शेर की सवारी करने का मौका मिला है। दिवाकर का आरोप है कि वे खुद के बड़े चैनलों में काम करने का गुरुर और दम्भ भरने लगे। वो अपनी बड़ाई में काफी बातें करने लगे।

दिवाकर ने भड़ास4मीडिया से बात करते हुए कहा “पूण्य एक विचारधारा से ग्रसित हैं और वो जन सरोकार की पत्रकारिता के नाम पर प्रायोजित पत्रकारिता कर रहे हैं इसलिए उनके इस काम में जो भी दखल देने की सोचेगा, वो सूर्या से जाएगा।”

दिवाकर ने आगे कहा कि पूण्य सूर्या समाचार के पुराने पत्रकारों को कुछ समझते ही नहीं हैं। वो उनको नौकरी पर रख के एहसान कर रहे हैं, ऐसा जताते हैं। सूर्या के पुराने पत्रकारो के साथ हो रहे भेदभाव और पूण्य के इस तरह के बर्ताव को लेकर दिवाकर ने जब चैनल के मालिक बीपी अग्रवाल को जानकारी दी तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में दिवाकर ने अपने निजी और पत्रकारिता के स्वाभिमान को देखते हुए पुण्य के हुक्म का पालन करने के बजाय इस्तीफा देकर चले जाना ही उचित समझा। जाते हुए वे एक संदेश भी देकर गए कि पत्रकार को घमंड में चूर नही होना चाहिए। दिवाकर ने कहा कि मैं किसी के विरोध के लिए मना नहीं करता लेकिन प्रायोजित और किसी को जबर्दस्ती बदनाम करने का विरोधी हूं।

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