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………तो क्या आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बीजेपी की भारी जीत के बाद मुस्लिम समुदाय को डरा रहा है

लखनऊ। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीआईएलबी) ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की भारी जीत के बाद मुस्लिम समुदाय के भविष्य पर चिंता जताई है लेकिन साथ ही मुस्लिमों से कहा है कि उन्हें मायूस होने की जरूरत नहीं है. एआईएमपीआईएलबी के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने एक खुले पत्र में कहा है कि आने वाले दिन परेशान करने वाला रुख अख्तियार कर सकते हैं लेकिन मुसलमानों की यह जिम्मेदारी है कि वे बुरे से बुरे हालात में भी धैर्य, हौसले और जज्बे को बनाए रखें और मायूसी तथा नाउम्मीदी का शिकार न हों.

मौलाना रहमानी ने लिखा है, “हमारे बुजुर्गो ने बहुत सोच समझकर इस मुल्क में रहने का फैसला किया था और हम इस फैसले पर कायम हैं. यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि अतीत में मुसलमानों को इससे भी अधिक सख्त हालात से गुजरना पड़ा है, ऐसा भी दौर गुजरा है जब चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था लेकिन फिर अल्लाह ने अंधेरे के दरम्यान से उजाले की किरण दिखाई. अब भी अल्लाह पर भरोसा रखें और ईमान के साथ अच्छाई के रास्ते पर चलते रहें. यह दौर भी गुजर जाएगा.”

2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था लेकिन इस बार छह सांसद चुने गए हैं. बीजेपी ने इस बार भी प्रदेश में किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था.

बीजेपी की सुनामी में बह गया सपा-बसपा गठबंधन
उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन कोई करिश्मा नहीं दिखा पाया और भारतीय जनता पार्टी की सुनामी में बह गया. गठबंधन से तमाम उम्मीदों के बावजूद बात अगर बसपा और सपा की अलग अलग करें तो सपा के हिस्से मात्र पांच सीट और बसपा के खाते में दस सीटें आईं. सपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पांच सीटें जीती थीं हालांकि उसका वोट प्रतिशत इस बार चार प्रतिशत गिर गया. 2014 में यह 22.35 प्रतिशत था जो इस बार घटकर 18 प्रतिशत से कुछ नीचे आ गया.

पिछले चुनाव में बसपा का खाता ही नहीं खुल पाया था लेकिन इस बार वह दस सीटें जीत गई. बसपा ने 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. कुल मिलाकर गठबंधन मात्र 15 सीटें ही जीत पाया. बीजेपी और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने मिलकर 64 सीटें जीतीं हालांकि 2014 में दोनों दलों ने मिलकर 73 सीटें जीती थीं.

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