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पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक का दावा, दुनिया को धोखा देने के लिए हुई हाफिज सईद की गिरफ्तारी

नई दिल्ली। पाकिस्तान काउंटर टेररिज्‍म डिपार्टमेंट (CTD) द्वारा आतंकी सरगना हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक ने सवाल खड़े किए हैं. पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक वाजिद शम्सुल का कहना है कि हाफिद सईद की गिरफ्तारी सिर्फ एक दिखावा है. पूर्व राजनयिक ने दावा किया कि पाकिस्तान में हाफिज सईद की गिरफ्तारी सिर्फ दुनिया को धोखा देने के लिए करवाई गई है.

एक न्यूज पोर्टल पर वाजिद ने एक आर्टिकल लिखा है. उन्होंने लिखा, ‘जमात-उद-दावा के चीफ की नवीं बार गिरफ्तारी सीधे तौर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की वॉशिंगटन यात्रा से जुड़ी है.’ उन्होंने लेख में यह भी जिक्र किया है कि हाफिज की गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही ट्वीट कर इसे अपने लगातार प्रयासों का परिणाम बताया है.

अमेरिका को खुश करने के लिए गिरफ्तारी का आरोप 
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, उन्होंने लिखा, ‘हाफिज की गिरफ्तारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को त्वरित टिप्पणी के लिए उत्साहित कर दिया. ट्रंप ने हाफिज की गिरफ्तारी को अपने प्रयासों की सफलता करार दिया. हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि हाफिज सईद का केस अमेरिका के लिए बहुत महत्व रखता है. इसके साथ ही पाकिस्तान के लिए भी हाफिज का मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अमेरिका की नजर में प्रॉक्सी वॉर का सबसे बड़ा नेतृत्वकर्ता है.’

बता दें कि इसी महीने की 17 तारीख को पाकिस्तान पुलिस ने हाफिज सईद को गिरफ्तार किया था. लाहौर से गुजरांवाला जाते वक्‍त उसको गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्‍तान में पंजाब के काउंटर टेररिज्‍म डिपार्टमेंट (CTD) ने उसको गिरफ्तार किया था. उसको न्‍यायिक हिरासत में भेजा गया. सूत्रों के मुताबिक इस घटनाक्रम पर भारत सरकार की भी नजर है.

मुंबई हमलों का मास्टर माइंड है हाफिज
उल्‍लेखनीय है कि जमात-उद-दावा आतंकी संगठन का सरगना हाफिज सईद 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों (26/11) का मुख्‍य साजिशकर्ता माना जाता है. इस महीने की शुरुआत में पंजाब के सीटीडी ने आतंकी वित्तपोषण के मामले में सईद और उसके 12 अन्य सहयोगियों के खिलाफ 23 मामले दर्ज किए थे. इन पर आरोप लगाया गया है कि पांच ट्रस्ट के माध्यम से ये आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया करा रहे हैं. सीटीडी ने कहा था कि उसने आतंकवाद रोधी कानून के तहत प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ लाहौर, गुजरांवाला और मुलतान में मामले दर्ज कराए हैं.

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