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असम में 40 लाख लोगों की नागरिकता पर फैसला थोड़ी देर में

गुवाहाटी। असम में 40 लाख लोगों की नागरिकता का फैसला आज होगा. राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट थोड़ी देर में आएगी. फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद माहौल खराब होने की आशंका को देखते हुए राज्य भर में कड़ी सुरक्षा के इतंजाम किये गए हैं. कई जगहों पर धारा 144 भी लगाई गई है.

40 लाख लोगों को लिस्ट से बाहर रखने पर हुआ था विवाद

जब मसौदा एनआरसी का पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशन हुआ था, तब उसमें से 40.7 लाख लोगों को लिस्ट से बाहर रखे जाने पर खासा विवाद हुआ था. मसौदा में 3.29 करोड़ आवेदकों में से से 2.9 करोड़ लोगों के ही नाम शामिल थे. जिन लोगों को लिस्ट से बाहर रखा गया था, उनके अलावा पिछले महीने प्रकाशित एक लिस्ट में एक लाख से अधिक लोगों के नाम बाहर रखे गए थे.

सीएम सोनोवाल ने कहा- लोग घबराएं नहीं

आखिरी लिस्ट के प्रकाशन से पहले असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं. राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं. सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है.

सीएम सोनोवाल ने यह भी कहा कि शनिवार को प्रकाशित होने वाली एनआरसी की अंतिम लिस्ट से यदि किसी का नाम बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है.

लिस्ट www.nrcassam.nic.in और assam.mygov.in पर जारी होगी.

क्या है NRC
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस एक दस्तावेज है जो इस बात की शिनाख्त करता है कि कौन देश का वास्तविक नागरिक है और कौन देश में अवैध रूप से रह रहा हैं. यह शिनाख्त पहली बार साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए की गई थी. बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे.

अवैध प्रवासियों को राज्य से हटाने के लिए कांग्रेस की सरकार ने साल 2010 में एनआरसी को अपडेट करने की शुरुआत असम के दो जिलों से की. यह बारपेटा और कामरूप जिला था. हालांकि बारपेटा में हिंसक झड़प हुआ और यह प्रक्रिया ठप हो गई. पहली बार सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया में 2009 में शामिल हुआ और फिर 2014 में असम सरकार को एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया. इसके बाद साल 2015 में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी का काम फिर से शुरू किया.

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