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DefExpo2020 : नामुमकिन को मुमकिन बनाएगा ‘इग्‍लू’, भीषण बमबारी में भी महफूज रहेगा सेना का शस्‍त्रागार

लखनऊ। Defence Expo 2020 : डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की शाखा सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरमेंट सेफ्टी (CFEES) ने सेना के हथियार व विस्फोटक को बचाने के लिए नई तकनीकि का आविष्कार किया है। भीषण बमबारी में भी हथियारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इस आविष्कार को इग्‍लू नाम दिया गया है। डिफेंस एक्सपो में एलआरसी बॉक्स टाइप इग्‍लू की प्रदर्शनी लगाई गई है।

सीएफईईएस के डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि अक्सर दुश्मन देश की ओर से सीमा पर बमबारी की जाती है। इसमें एक स्थान पर सुरक्षित रखे विस्फोटक भी चपेट में आ जाते हैं। सेना की ओर से एक ऐसे तकनीक को विकसित करने की मांग की गई थी, जिससे बमबारी के दौरान एक्सप्लोसिव को सुरक्षित रखा जा सके। इसके बाद सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरमेंट सेफ्टी की ओर से रिसर्च किया गया और इस नई तकनीकि का इजाद हुआ।

कम जगह में रखे जा सकेंगे ज्यादा हथियार

हथियार और विस्फोटक को रखने के लिए ज्यादा जमीन की आवश्यक्ता पड़ती है। हालांकि इग्‍लू के आविष्कार से कम जगह में ज्यादा एक्सप्लोसिव रखे जा सकेंगे। इसकी खासियत यह है कि पड़ोसी मकान में भी विस्फोट हो जाने पर भी इग्‍लू को कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बॉक्स और बेंट शीयर लेसिंग का संयुक्त रूप है।

सूरत अग्निकांड से सीख, अब होगी सुरक्षा

सूरत में हुए भीषण अग्निकांड में 22 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे से सीख लेते हुए सीएफईईएस ने इमरजेंसी एस्केप शूट तैयार किया है। इससे ऊंची इमारतों में अग्निकांड के दौरान फंसे लोगों को सूट की मदद से आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। सभी ऊंची बिल्डिंगों में इसे अनिवार्य तौर पर लगाने के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है। इसकी मदद से आपातकाल में लोगों की जान बचाई जा सकेगी। यह सूट बड़े जहाजों, ऑयल रिग प्लेटफार्म व अन्य स्थानों पर भी लगाया जाएगा।

खुद का बनाया रैंप, ट्रेन से कहीं भी उतार सकेंगे टैंक

भारी टैंकों को ट्रेन में लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता है। स्टेशनों पर टैंक को उतारने के लिए स्थाई रैंप बनाने पड़ते हैं, जिसकी मदद से यह बाहर आता है। अब सीएफईईएस ने एक ऐसा रैंप बनाया है, जिससे कहीं भी सेना के टैंक ट्रेन से बाहर उतारे जा सकेंगे। इस रैंप को सेना के छह से 10 जवान महज 90 मिनट में तैयार कर लेंगे और टैंक उतारने के बाद इसे वापस समेटकर साथ में रख भी सकेंगे। यह 60 टन का वजन उठा सकता है। रैंप का वजन मात्र 120 किलो है, जिसे आसानी से ले जाया जा सकता है। रैंप को उच्च गुणवत्ता के मैटेरियल से बनाया गया है।

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