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#NEP 2020: बोर्ड का तनाव खत्‍म करने के साथ Exams आसान बनाने का ऐलान, पढ़ें जरूरी बात

नई दिल्ली। देश में 3 दशक के बाद, यानी 34 वर्षों बाद राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है । नई शिक्षा नीति में करोड़ों छात्रों और अभिभावकों के लिए जो सबसे बड़ी राहत पहुंचाने वाली बात है, वह यह है कि अब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाने की ओर कदम सठाए जाएंगे । बोर्ड परीक्षाओं का भूत बच्‍चों के साथ उनके पैरेन्‍ट्स को भी सताता था, अच्‍छे अंक लाने की जद्दोजहद में बच्‍चे मानसिक रूप से तनाव महसूस करते थे । लेकिन नई एजुकेशन पॉलिसी आने के बाद अब ये टेंशन दूर हो जाएगी ।

रटा रटाया ज्ञान अब और नहीं ..

नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बोर्ड परीक्षाओं में विद्याथिर्यों की वास्तविक क्षमताओं एवं योग्यताओं को परखा जाएगा । छात्र-छात्राओं2education  exam द्वारा रटे हुए सवालों पर बोर्ड परीक्षा का दारोमदार अब नहीं होगा । नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं में वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं, मॉडल लाएं जाएंगे । बोर्ड परीक्षाओं को दो भागों में या दो तरह जैसे वस्तुनिष्ठ और ब्याख्यात्मक तरीके से कराया जा सकता है । नई नीति के तहत कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं होगीं। जबकि 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बदले स्वरूप में जारी रहेंगी।

मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम का बड़ा लाभ

नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है। विस्‍तार में बताएं तो आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। स्टूडेंट्स के हित में यह एक बड़ा फैसला है। इसके साथ ही सभी कॉलेजों में एडमिशन के लिए NTA द्वारा केवल एक ही एग्जाम आयोजित कराया जाएगा। यह एग्जाम ऑप्शनल होगा जरूरी नहीं।

हर 5 वर्ष में समीक्षा

नई शिक्षा नीति 2020 में स्‍कूली शिक्षा की गुणवत्‍ता की अब से हर 5 वर्षों में समीक्षा की जाएगी। नई नीति के तहत अब 2022 के बाद से शिक्षकों की भर्ती सिर्फ नियमित होगी और पैरा टीचर्स नहीं रखे जाएंगे । इसके साथ ही नई शिक्षाeducation  नीति के तहत 2030 तक देश के 100 फीसदी बच्‍चों को स्‍कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्‍य रखा गया है । आज भी गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्‍चे बेसिक शिक्षा से वंचित हैं । आपको बता दें कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है जिसमें 1028 विश्‍वविद्यालय, 45 हजार कॉलेज, 14 लाख स्‍कूल तथा 33 करोड़ स्‍टूडेंट्स शामिल हैं।

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