प्रयागराज/लखनऊ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश लगातार हो रही है. इस बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसने इस केस को और भी उलझा दिया है. बाघंबरी मठ के जिस कमरे में नरेंद्र गिरि का शव मिला था, उसी कमरे का वीडियो सामने आया है, जो मौत के तुरंत बाद का है.
1. नरेंद्र गिरि का शव पंखे से लटका हुआ था, पीले रंग की रस्सी को काटकर शव को नीचे उतारा गया. ये रस्सी किसने काटी, तीन टुकड़े क्यों और किसने किए? नरेंद्र गिरि के गले में बंधी रस्सी किसने खोली?’
2. रस्सी पंखे के हुक से बंधी हुई थी, ऐसे में नरेंद्र गिरि इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंच पाए? नरेंद्र गिरि को गठिया रोग की शिकायत थी, उम्र भी ज़्यादा थी ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है.
3. मौत के दौरान नरेंद्र गिरि का मोबाइल फोन बंद था, ऐसा क्यों हुआ?
4. जिस कमरे में महंत नरेंद्र गिरि का शव मिला, उसका दरवाजा सबसे पहले किसने खोला? तुरंत पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया गया?
5. महंत के साथ सुरक्षा में चलने वाले पुलिसकर्मी उस वक्त कहां थे, जब दरवाजा तोड़ा गया और अंदर शव लटका मिला?
https://www.youtube.com/watch?v=j7EElDUcFfk
सर्वेश द्विवेदी ने किया ये दावा
बाघंबरी मठ में ही रहने वाले महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य सर्वेश द्विवेदी ने ही दावा किया था कि सबसे पहले उन्होंने ही महंतजी का शव देखा था. बाद में अन्य लोगों की मदद से पंखे से उतारा और उसके लिए रस्सी को काटना पड़ा. सर्वेश द्विवेदी का कहना है कि हमने पहले शव को उतारा, तब कुछ समझ नहीं आ रहा था ऐसे में बाद में पुलिस को बुलाया गया.
आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद के वीडियो में पुलिस वहां मौजूद लोगों से सवाल करती हुई देखी गई. पुलिस अधिकारी वहां मौजूद लोगों से कह भी रहे थे कि जब आपने शव को देखा तो सीधे पुलिस को बुलाना चाहिए था, किसी को पंखे से नहीं उतारना चाहिए था.
‘वो आत्महत्या नहीं कर सकते थे’
महंत नरेंद्र गिरि की चाचा प्रोफेसर महेश सिंह ने भी मौत को लेकर कई तरह के सवाल पूछे हैं. महेश सिंह का कगना है कि नरेंद्र गिरि दसवीं पास थे, लिखना भी जानते थे. उनकी हैंड राइटिंग अच्छी नहीं थी, लेकिन लिख सकते थे.
महेश सिंह ने कहा कि नरेंद्र गिरि ऐसे व्यक्ति नहीं थे, जो आत्महत्या करें ऐसे में जांच जरूरी होनी चाहिए. जब मैं प्रयागराज पहुंचा तो फॉरेंसिक जांच हो रही थी. सर्वेश द्विवेदी रोता हुआ मेरे पास आया था और बोला कि महाराज जी चले गए. हमने गनर्स को मौके पर नहीं देखा था. महेश सिंह का कहना है कि वो जौनपुर के को-ओपरेटिव बैंक में क्लर्क थे, करीब दो साल तक काम किए थे.
गौरतलब है कि नरेंद्र गिरि की मौत की जांच अब सीबीआई के हाथ में जा सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसको लेकर केंद्र को सिफारिश की है. अभी तक यूपी पुलिस इसकी जांच कर रही थी, सुसाइड नोट के आधार पर अभी तक आनंद गिरि को गिरफ्तार किया गया है और अन्य दो को हिरासत में लिया गया है.