नई दिल्ली। 2002 में हुए गुजरात के गोधरा कांड के दोषियों ने अपने लिए रहम की मांग की है। अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू तीर्थयात्रियों को ट्रेन में जिंदा जला देने वालों ने अपने लिए माफी की मांग करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों पर नरमी का उदाहरण दिया है। दोषियों की याचिका 2018 से सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित है।
दोषियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि अधिकतर दोषी 16 से 18 साल की जेल काट चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई मामलों में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा संदिग्ध है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें यूपी को 14 साल की सजा काट चुके कैदियों को छूट देने पर विचार करने को कहा था।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला ने गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या क्या इन अपीलकर्ताओं के लिए छूट देने पर विचार किया जा सकता है? मेहता ने कहा कि अपराध जघन्य प्रवृत्ति का था, ट्रेन को रोका गया, साबरमती एक्सप्रेस के एस6 कोच में बाहर से पेट्रोल डाला गया और आग लगा दी गई। दोषियों और साजिकर्ताओं ने इसके बाद पथराव करके यात्रियों को बचकर निकलने से रोका और दमकलकर्मियों को मौके पर जाने से रोका जिससे महिलाओं और बच्चों समेत 59 की मौत हो गई।
मेहता ने कहा, ‘इससे बड़ा जघन्यतम दुर्लभतम अपराध कोई नहीं हो सकता।’उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने उन 11 लोगों की मौत की सजा को बहाल करने के लिए याचिका दायर की है जिनकी मौत की सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था। मेहता ने कहा, ‘वे छूट के हकदार नहीं हैं क्योंकि उनके खिलाफ टाडा लगाया गया था।’
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