Friday , November 22 2024

इतिहास रचने निकला चंद्रयान-3, लैंडिंग में किसी भी गलती को 96 मिलिसेकेंड्स में सुधारेगा विक्रम लैंडर

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से चंद्रयान-3 को लेकर अंतरिक्ष की ओर जाता LVM3-M4 रॉकेट. (सभी फोटोः ISRO)Chandrayaan-3 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है. 23-24 अगस्त के बीच किसी भी समय यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैंजिनस-यू (Manzinus-U) क्रेटर के पास उतरेगा. चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट 179 किलोमीटर ऊपर तक ले गया. उसके बाद उसने चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए अंतरिक्ष में धकेल दिया. इस काम में रॉकेट को मात्र 16:15 मिनट लगे.

इस बार चंद्रयान-3 को LVM3 रॉकेट ने जिस ऑर्बिट में छोड़ा है वह 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) है. पिछली बार चंद्रयान-2 के समय 45,575 किलोमीटर की कक्षा में भेजा गया था. इस बार यह कक्षा इसलिए चुनी गई है ताकि चंद्रयान-3 को ज्यादा स्थिरता प्रदान की जा सके.

Chandrayaan-3 Route

धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा चंद्रयान-3

इसरो के एक वैज्ञानिक ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि 170X36,500 किलोमीटर वाली अंडाकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट के जरिए चंद्रयान की ट्रैकिंग और ऑपरेशन ज्यादा आसान और सहज होगा. चंद्रमा की ओर भेजने से पहले चंद्रयान-3 को धरती के चारों तरफ कम से कम पांच चक्कर लगाने होंगे. हर चक्कर पहले वाले चक्कर से ज्यादा बड़ा होगा. ऐसा इंजन को ऑन करके किया जाएगा.

इसके बाद चंद्रयान-3 ट्रांस लूनर इंसरशन (TLI) कमांड दिए जाएंगे. फिर चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट यानी लंबे हाइवे पर यात्रा करेगा. 31 जुलाई तक TLI को पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद चंद्रमा करीब साढ़े पांच दिनों तक चंद्रमा की ओर यात्रा करेगा. चंद्रमा की बाहरी कक्षा में वह पांच अगस्त के आसपास प्रवेश करेगा. यह गणनाएं तभी सही रहेंगी, जब सबकुछ सामान्य स्थिति में होगा. कोई तकनीकी गड़बड़ी होने पर इसमें समय बढ़ सकता है.

Chandrayaan-3 Lander Rover

23 अगस्त को गति होगी धीमी, लैंडिंग होगी शुरू

चंद्रयान-3 चंद्रमा की 100X100 किलोमीटर की कक्षा में जाएगा. इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे. उन्हें 100 किलोमीटर X 30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा. 23 अगस्त को डीबूस्ट यानी गति धीमी करने का कमांड दिया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू करेगा.

लैंडर की ताकत, इंजन और लैंडिंग साइट का एरिया बढ़ाया गया

इस बार विक्रम लैंडर में के चारों पैरों की ताकत को बढ़ाया गया है. नए सेंसर्स लगाए गए हैं. नया सोलर पैनल लगाया गया है. पिछली बार चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर X 500 मीटर चुना गया था. इसरो विक्रम लैंडर को मध्य में उतारना चाहता था. जिसकी वजह से कुछ सीमाएं थीं. इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर रखा गया है. यानी इतने बड़े इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतर सकता है.

Vikram Lander Landing

खुद लैंडिंग की जगह चुनेगा, सभी खतरों को खुद भापेगा

लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव वह खुद करेगा. इस बार कोशिश रहेगी कि विक्रम लैंडर इतने बड़े इलाके में अपने आप सफलतापूर्वक उतर जाए. इससे उसे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है. इस लैंडिग पर नजर रखने के लिए चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने कैमरे तैनात रखेगा. साथ ही उसने ही इस बार की लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है.

विक्रम लैंडर 96 मिलिसेकेंड्स में सुधारेगा गलतियां

विक्रम लैंडर के इंजन पिछली बार से ज्यादा ताकतवर हैं. पिछली बार जो गलतियां हुईं थी, उसमें सबसे बड़ी वजहों में से एक था कैमरा. जो आखिरी चरण में एक्टिव हुआ था. इसलिए इस बार उसे भी सुधारा गया है. इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स गलतियां कम से कम करेंगे. उन्हें तत्काल सुधारेंगे. इन गलतियों को सुधारने के लिए विक्रम के पास 96 मिलिसेकेंड का समय होगा. इसलिए इस बार विक्रम लैंडर में ज्यादा ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना लगाए गए हैं. यानी गलती की संभावना न के बराबर है.

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch