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अजित पवार के पास खजाने का कंट्रोल जाते ही शिंदे गुट बौखलाया, बोला- इसी वजह से तो टूटी थी शिवसेना

NCP तोड़कर बीजेपी नीत गठबंधन में आए अजित पवार को फाइनेंस मिनिस्ट्री दी गई है। हालांकि ये फैसला सीएम एकनाथ शिंदे के हाथों करवाया गया, लेकिन उनके ही गुट को ये रास नहीं आ रहा है। नेताओं का मानना है कि इसी वजह से शिवसेना टूटी थी। बेशक ठाकरे के पास सूबे की कमान थी लेकिन विधायकों को सरकारी फंड देने का फैसला अजित पवार करते थे। अजित उद्धव ठाकरे की भी नहीं सुनते थे। इसी वजह से शिवसेना के दो फाड़ भी हुए।

निर्दलीय विधायक बच्चू काडू एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हैं। उनका कहना है कि शिवसेना में तकरार की वजह विधायकों को दिए जाने वाले फंड में भेदभाव था। बेशक उद्धव ठाकरे के पास कमान थी लेकिन फंड का अलोकेशन अजित के पास में था। इसी वजह से पार्टी में टूट हुई थी।

अपनों को 800 करोड़ तक तो शिवसेना के विधायकों को मिलते थे 50-55 करोड़

औरंगाबाद वेस्ट के विधायक संजय शिरासत का कहना है कि उद्धव सरकार के दौरान शिवसेना के विधायकों को मिलने वाला फंड 50 करोड़ रुपये आसपास था तो राकांपा के विधायक 700-800 करोड़ रुपये तक झटक ले जाते थे। फाइनेंस मिनिस्टर अजित थे तो वो मनमाने फैसले लेते थे।

शिंदे गुट बोला- उद्धव से नहीं थी दिक्कत, अजित को लेकर हुई थी टसल

संदीपन भूमरे का कहना है कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ एकनाथ शिंदे कभी नहीं थे। वो अजित पवार का विरोध करते थे। उनका कहना था कि अजित पवार जिस तरह से विधायकों को फंड दे रहे हैं उससे शिवसेना कमजोर हो जाएगी। वो MVA से बाहर आए थे तो केवल NCP की वजह से।

कोरेगांव के विधायक महेश शिंदे का मानना है कि अजित के पास में पैसे की पावर का जाना ठीक नहीं है। वो अपने विधायकों को ज्यादा पैसा अलाट करेंगे। उद्धव सरकार में वित्त राज्य मंत्री रहे पाटन के विधायक शंभूराजे देसाई का कहना है कि बेशक वो मंत्री थे पर पैसे का अलॉटमेंट अजित के पास था उनकी अपने महकमे में ही कोई भी नहीं सुनता था। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी फंड के अलॉटमेंट को लेकर तब अजित पर हमलावर थे।

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