नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने 29.06 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण में बहुत अधिक परियोजना लागत को चिह्नित किया है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा अनुमोदित दर 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर के बजाय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने कंस्ट्रक्शन कंपनी को 250.77 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से लागत राशि को मंजूरी दी है।
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली से गुरुग्राम को जोड़ता है। परियोजना के मुताबिक एनएच 48 को 14 लेन के एक्सप्रेववे के रूप में विकसित किया गया है। प्रोजेक्ट के फिजिबिलिटी स्टडी के अनुसार,दिल्ली से गुरुग्राम के बीच एनएच-48 पर जाने वाले औसत 3,11,041 दैनिक गाड़ियों में 2,88,391 यात्री वाहन (92.72 फीसदी) शामिल थे। इनमें से 2,32,959 गाड़ियां दो शहरों के बीच दैनिक यात्रा करती हैं।
वर्ष 2017-18 से 2020-21 की अवधि के बीच ‘भारतमाला परियोजना के चरण- I के कार्यान्वयन’ (या BPP-I) पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में CAG ने 14-लेन सड़क परियोजना पर कई टिप्पणियाँ की हैं। इस एक्सप्रेसवे पर आठ एलिवेटेड लेन और छह लेन ग्रेड (ऊंची की गई सड़क)हैं- जिसका उद्देश्य दिल्ली और गुड़गांव के बीच NH-48 पर यात्री भीड़ और ट्रैफिक लोड को कम करना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि द्वारका एक्सप्रेसवे की योजना शुरुआत में हरियाणा सरकार ने अपने गुड़गांव-मानेसर शहरी निर्माण योजना-2031 के तहत बनाई थी। इसके लिए, हरियाणा ने 25 मीटर के मुख्य कैरिज वे के निर्माण के लिए 150 मीटर के रास्ते (सड़क की चौड़ाई) का अधिकार हासिल कर लिया था, जिसमें 7 मीटर चौड़ा मध्य भाग और ट्रंक सेवाओं के लिए एक समर्पित उपयोगिता गलियारा भी शामिल था लेकिन परियोजना में प्रगति नहीं होने पर इसे भारतमाला परियोजना के चरण- I में शामिल कर लिया गया।
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