लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती ने एनडीए और विपक्षी गठबंधन इंडिया में से किसी का भी साथ नहीं देने के साफ संकेत दिए हैं। बुधवार को कहा कि दोनों ही बहुजन समाज को तोड़ने में व्यस्त रहते हैं, लिहाजा उनसे दूरी बनाए रखना ही बेहतर है। मायावती ने बसपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक में गठबंधन को लेकर पार्टी के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि गठबंधनों से बसपा को फायदे के बजाय नुकसान ही हुआ है। उन्होंने कहा कि राजग और विपक्षी गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव में जीत के दावे कर रहा है, लेकिन सत्ता में आने के बाद इन दोनों के ज्यादातर वायदे खोखले ही साबित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों की नीतियों और कार्यशैली से देश के गरीबों, मजदूरों, दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों का हित और कल्याण कम हुआ, बल्कि उन्हें आपस में विभाजित कर उनका अहित ज्यादा हुआ है। बसपा समाज को जोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास करती है, जबकि वे लोग उन्हें तोड़कर कमजोर करने की संकीर्ण राजनीति में ही ज्यादातर व्यस्त रहते हैं, इसीलिए इनसे दूरी ही बेहतर है।
मायावती ने कहा कि वैसे भी आम्बेडकरवादी विचारधारा वाली बसपा का मजबूत गठबंधन खासकर उत्तर प्रदेश में दूसरी किसी भी पार्टी के साथ कैसे संभव है? गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ताशीर्ष पर पहुंच चुकी बसपा के इस राज्य में कुल नौ सांसद हैं। दलितों में जनाधार वाली प्रमुख पार्टी मानी जाने वाली बसपा ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। उस वक्त उसे 10 सीटों पर सफलता मिली थी, लेकिन हाल ही में अफजाल अंसारी को एक मामले में मिली सजा के बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी।
सपा प्रमुख ने बैठक में मौजूद पदाधिकारियों से पिछली बैठक में दिए गए दिशा-निर्देशों पर अमल की प्रगति रिपोर्ट ली और समीक्षा के बाद उल्लिखित कमियों को तत्काल दूर करने के निर्देश देते हुए लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया। उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव के लिये पार्टी उम्मीदवार के चयन में खास सावधानी बरतने की भी हिदायत दी।