नई दिल्ली। असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर विपक्षी दलों के आरोपों का सामना कर रही मोदी सरकार ने आज एक-एक कर जवाब दिए. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा कि 30 जुलाई 2018 को सामने आई रिपोर्ट फाइनल एनआरसी रिपोर्ट नहीं बल्कि ड्राफ्ट रिपोर्ट है. ड्राफ्ट को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में तैयार किया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि कोई भी देश ये तो चाहेगा की वह जाने की उसके देश में कितने विदेशी हैं. इसकी जानकारी रखना स्वभाविक है. यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है.
उन्होंने कहा कि जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वो निराधार हैं. विपक्षी दलों खासकर टीएमसी और कांग्रेस ने कहा है कि एनआरसी ड्राफ्ट में जिन 40 लाख लोगों का नाम नहीं हैं उन्हें अपने ही घर में बेघर कर दिया गया. वे भारतीय नागरिक हैं, उन्हें सत्तापक्ष की तरफ से घुसपैठिया बताया जा रहा है, ड्राफ्ट तैयार करने में भेदभाव किया गया. असम में अशांति है.
राजनाथ सिंह ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा, ”कहीं कोई भेदभाव नहीं हुआ है और आगे भी कहीं कोई भेदभाव नहीं होगा. लोगों के पास एनआरसी में नाम डलवाने के लिए अभी भी मौका है. लोग ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा सकते हैं. अनावश्यक रुप से डर का माहौल पैदा किया गया.”
राजनाथ के बयान पर टीएमसी सांसद डेरेक बयान ने पूछा कि सरकार के बयान को सही माना जाए या अमित शाह के? दरअसल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले दिनों राज्यसभा में कहा था कि कांग्रेस में इसे लागू करने का साहस नहीं था. हमारे पास साहस था और हम इसे कर रहे हैं. यहां हर कोई (विपक्ष में) 40 लाख लोगों को लेकर चिंतित है. इन 40 लाख में कितने बांग्लादेशी घुसपैठियां हैं? आप किसकी रक्षा करना चाहते हैं? आप बांग्लादेशी घुसपैठियों की रक्षा करना चाहते हैं?
राजनाथ सिंह ने आज कहा, ”जिनका नाम नहीं है अभी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गलत आरोप लगाए गए. सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है ताकि इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जा सके. सांप्रदायिक सौहाद्र बिगाड़ा जा सके. इस प्रकार का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.”
सिंह ने कहा, ”30 जुलाई 2018 को जो ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया वह फाइनल ड्राफ्ट नहीं है. 1985 में इसकी शुरुआत हुई थी. वहां बाहर से आये लोगों के खिलाफ आंदोलन भी हुए. उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. 2005 में मनमोहन सिंह एनआरसी को अपडेट करने का फैसला लिया.”
गृहमंत्री ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खराब-कानून व्यवस्था के दावों पर कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था बिल्कुल ठीक है. हमने राज्य सरकार के अनुरोध पर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी भेजे हैं. असम सरकार ने 30 जुलाई को एनआरसी ड्राफ्ट को प्रकाशित किया जिसमें 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल हैं जबकि कुछ कमियों के चलते मसौदे से 40 लाख लोगों को बाहर रखा गया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी असम एनआरसी अपडेट प्रक्रिया की मुखर विरोधी रही हैं. उन्होंने असम से बंगालियों और मुस्लिमों को बाहर निकालने के लिए दिल्ली और असम में सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया है. बनर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि एनआरसी से असम में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी.