नई दिल्ली। भारत और म्यांमार को एक दूसरे से जोड़ने वाले इंडो-म्यांमार फ्रेंडशिप ब्रिज को वहां की सरकार ने औपचारिक तौर पर खोल दिया है. मणिपुर की सीमा से सटे शहर मोरे में इस सीमा के खुलने के बाद अब म्यांमार जाने वाले किसी भी भारतीय को विशेष परमिट की आवश्यकता नहीं होगी.
बुधवार को म्यांमार के तामू में एक भव्य कार्यक्रम के आयोजन के साथ भारत से लगी इस सीमा को खोल दिया गया. दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध के लिहाज से अहम इस सीमा का खोला जाना एक ऐतिहासिक और सकारात्मक शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. बता दें कि 11 मई को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के म्यांमार दौरे के दौरान नेपीता में दोनों देशों के बीच इस सीमा को खोले जाने के संबंध में समझौता हुआ था.
इसी के साथ तामू-मोरेह सीमा के अलावा भारत म्यांमार सीमा से लगे रिखावदार (चिन प्रांत) और जोखावतार (मिजोरम) की भी सीमा खोल दी गई है. इस समझौते के तहत सीमा पर एक पास के जरिए दोनों देशों के नागरिक एक दूसरे की सीमा में बिना परमिट 16 किमी. तक जा सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि भारत और म्यांमार ने पहले ही दोनों देशों के बीच रोड संपर्क मे सुधार करने की दिशा में पहल कर चुके हैं. जिसके तहत दो बड़े प्रोजेक्ट और 69 पुलों के नवीकरण का काम 2020 तक पूरा हो जाएगा.
गौरतलब है म्यांमार भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों में शामिल है और भारत से 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के कई राज्य म्यांमार की सीमा से लगे हैं. मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत दोनों देशों की सीमा का खोला जाना एक अहम समझौता था जिसे अमली जामा पहनाया गया है.
इसके अलावा महत्वाकांक्षी भारत-म्यांमर-थाईलैंड त्रिपक्षीय अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग पर तीनों देश मिलकर काम कर रहे हैं. 1400 किलोमीटर इस राजमार्ग का काम 2019 तक पूरा होने की संभावना है. जिससे तीनों देश के कारोबार, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि होगी. यह महत्वाकांक्षी योजना चीन के बढ़ते प्रभाव के लिहाज से अहम है जो वन बेल्ट वन रोड के माध्यम से अपना आर्थिक और रणनीतिक वस्तार कर रहा है.