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सुप्रीम कोर्ट ने 4 पुराने क्रिकेट संघों की सदस्यता की बहाल, नए संविधान को दी मंजूरी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज चार एतिहासिक क्रिकेट संघों की सदस्यता बहाल करते हुए कहा कि इन्होंने देश के क्रिकेट इतिहास में बड़ा योगदान दिया है. शीर्ष अदालत ने मुंबई, सौराष्ट्र, वडोदरा और विदर्भ के क्रिकेट संघों की स्थायी सदस्य इस आधार पर बहाल कर दी कि इन संस्थाओं ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार किए हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने बीसीसीआई के नए संविधान के मसौदे को भी मंजूरी दे दी.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पीठ ने रेलवे, सेना और विश्वविद्यालय के खेल के प्रति योगदान और प्रतिभा को निखारने में भूमिका के कारण उनकी स्थायी सदस्यता भी बहाल कर दी.राज्य संघों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की

राज्य संघों ने की सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना
मुंबई और सौराष्ट्र सहित विभिन्न राज्य संघों ने बीसीसीआई में आज अपने वोटिंग अधिकार दोबारा बहाल किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई सदस्यों से जुड़े ‘एक राज्य, एक मत’ के अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए मुंबई, सौराष्ट्र, बड़ौदा और विदर्भ के वोटिंग अधिकार बहाल कर दिए जो लोढा समिति की सिफारिशों के बाद छिन गए थे.

विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) के अध्यक्ष आनंद जायसवाल ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि न्याय हुआ है. जायसवाल ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह स्वागत योग्य आदेश है जिसने इन सभी संघों के साथ न्याय किया है जिन्होंने इतने वर्षों तक क्रिकेट के विकास में काफी योगदान दिया और ऐसे सदस्य अगर रोटेशन से पूर्ण सदस्य बनते तो यह अन्याय होता.’’

सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव मधुकर वोराह ने भी उनके संघ को पूर्ण सदस्यता देने के लिए शीर्ष अदालत को धन्यवाद दिया. वोराह ने कहा, ‘‘बीसीसीआई में पूर्ण सदस्यता बरकरार रखना स्वागत योग्य है. हम सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं.’’

इसी तरह बड़ौदा क्रिकेट संघ के प्रभारी सचिव स्नेहल पारिख ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया. पारिख ने कहा, ‘‘यह शानदार है. यह हमारे योगदान की स्वीकृति है. बड़ौदा ने इतने सारे खिलाड़ी दिए हैं और यह भारतीय क्रिकेट को बड़ौदा के योगदान की मान्यता है.’’

मुंबई क्रिकेट संघ ने इस आदेश को एतिहासिक करार दिया और बोर्ड में दोबारा वोटिंग अधिकार मिलने पर खुशी जताई. एमसीए के संयुक्त सचिव प्रोफेसर डा. उन्मेश खानविलकर ने कहा, ‘‘हमारा वोटिंग अधिकार बहाल करने के लिए हम सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं. मुंबई की समृद्ध क्रिकेट विरासत है और वोटिंग अधिकार दोबारा हासिल करना अच्छा है. यह एतिहासिक फैसला है.’’

कूलिंग ऑफ पिरियड पर भी दिया फैसला
न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड ने कहा कि प्रत्येक पदाधिकारी को लगातार दो पदों के बाद तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरियड से गुजरना होगा न कि एक साल के. उन्होंने कहा, “एक अधिकारी जो राज्य संघ या बीसीसीआई में लगातार दो बार एक पद पर चुना गया है वह तीसरी बार कूलिंग ऑफ पीरियड के बिना चुनाव में खड़े नहीं हो सकेंगे. कूलिंग ऑफ पीरियड के दौरान अधिकारी गर्वनिंग काउंसिल या बीसीसीआई तथा राज्य संघ में किसी पद पर काम नहीं कर सकेंगे.”

पीठ ने कहा, “कोई भी शख्स बीसीसीआई में नौ साल के बाद किसी पद पर बने नहीं रह सकता.” अदालत ने साथ ही राज्य क्रिकेट संघों से भी बीसीसीआई के संविधान को 30 दिन के भीतर लागू करने और इस बारे में प्रशासकों की समिति (सीओए) को अवगत कराने को कहा है. साथ ही राज्य क्रिकेट संघों को आदेश का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

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