मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों को लेकर टिप्पणी करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि पीएम मोदी को सभी दलों की चुनावी सभाओं को संबोधित करना चाहिए ना कि केवल बीजेपी की. ठाकरे ने कहा कि चुनावों में बीजेपी के लिए स्टार प्रचारक की भूमिका निभाने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को सभी को एक समान देखना चाहिए.
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री सभी से समान व्यवहार की शपथ लेते हैं.’ ठाकरे ने साप्ताहिक पत्रिका ‘मार्मिक’ के 58वें वार्षिक समारोह में कहा, ‘प्रधानमंत्री को केवल बीजेपी का ही प्रचार क्यों करना चाहिए. उन्हें सभी दलों के चुनाव प्रचार के लिए जाना चाहिए. उन्हें शिवसेना, निर्दलीयों और कम्युनिस्टों के लिए चुनाव प्रचार में शामिल होना चाहिए.’
‘EC को पीएम के चुनाव प्रचार में भाग लेने पर रोक लगा देनी चाहिए’
उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के विधि आयोग को लिखे पत्र का परोक्ष रूप से जिक्र किया जिसमें लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की वकालत की गई है. ठाकरे ने कहा, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव अच्छी बात है. अगर देश में लोकतंत्र को जड़ें जमाकर रखना है तो चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के चुनाव प्रचार में भाग लेने पर रोक लगा देनी चाहिए.’
‘पीएम ने ईमेल का शॉर्टकट रास्ता चुना’
इससे पहले शिवसेना ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को इंटरव्यू देने के लिए ईमेल का शार्टकट रास्ता चुना है. पार्टी ने इसे दुष्प्रचार और चीन या रूस जैसे कम्युनिस्ट देशों में मौजूद एक तरह की परंपरा बताया. शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को इसके बजाय आमने सामने के इंटरव्यू में लोगों के सवालों का जवाब देना चाहिए.
कुछ मीडिया संगठनों द्वारा प्रकाशित प्रधानमंत्री के साक्षात्कारों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए शिवसेना ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं किया है और यह उनकी शख्सियत के अनुरूप नहीं है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों तक वह पत्रकारों के ‘मित्र’ थे. पार्टी ने कहा,‘लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने चारों ओर एक घेरा बना लिया है.’
‘तो पत्रकार जल्द ही गंवा बैठेंगे अपनी नौकरियां’
संपादकीय में कहा गया है कि अगर प्रधानमंत्री ईमेल के जरिए इंटरव्यू देना जारी रखेंगे तो पत्रकार जल्द ही अपनी नौकरियां गंवा बैठेंगे और इस तरह उन लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध कराने का जिम्मा उन्हीं का होगा.
शिवसेना ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक ही ईमेल के जरिए इंटरव्यू दिए. इसका मतलब है कि वे आमने सामने बैठ कर लिए गए इंटरव्यू नहीं थे. पत्रकार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को प्रश्न भेजते हैं और उन्हें लिखित उत्तर दिया जाता है. पार्टी ने कहा कि दूसरे शब्दों में इसे प्रचार या दुष्प्रचार कहा जा सकता है.