जयपुर। कभी राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में सिरमौर रही ब्राह्मण पॉलिटिक्स आज हाशिये पर आ चुकी है. एक वक्त था जब राजस्थान में आजादी के बाद से लेकर 1990 तक पांच ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने थे. 1949 से लेकर 1990 तक राजस्थान की राजनीति में ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा. 1990 में हरिदेव जोशी आखिरी सीएम थे और उसके बाद से लगातार राजस्थान में ब्राह्मण राजनीति में गिरावट आती गई. आज आलम यह है की राजस्थान की 7 करोड़ की आबादी में 12% होने के बावजूद इस के अनुपात में ब्राह्मण नेताओं को टिकट नहीं मिल पाते हैं.
“राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में ब्राह्मण नेताओं का एक लंबे समय तक दबदबा रहा है. आजादी के बाद से लेकर 90 के दशक तक राजस्थान कांग्रेस में ब्राह्मण नेताओं का सुनहरा दौर रहा था. लेकिन उसके बाद से ब्राह्मण राजनीति हाशिए पर आ गई है आज स्थिति यह है कि राजस्थान में 12% आबादी होने के बावजूद कांग्रेस में टिकट के लिए ब्राह्मण नेताओं को संघर्ष करना पड़ता है”
1990 के बाद से लगातार राजस्थान की राजनीति में ब्राह्मण जाति का दबदबा कम होता आया है हालांकि समय-समय पर राजस्थान में अलग-अलग ब्राह्मण नेता अहम पदों पर रहे हैं. लेकिन फिर भी 1990 के बाद से कोई भी मुख्यमंत्री के पद पर नहीं पहुंच पाया है. राजस्थान की प्रमुख ने ब्राह्मण नेताओं की बात करें तो हरिदेव जोशी के बाद नवल किशोर शर्मा एक महत्वपूर्ण नाम रहे. हालांकि नवल किशोर शर्मा ने केंद्र की राजनीति में अपनी अदा भूमिका अदा की. इसके बाद वर्तमान राजनीति में सीपी जोशी गिरिजा व्यास रघु शर्मा महेश जोशी भंवरलाल शर्मा जैसे ब्राह्मण नेता अपना असर छोड़ते रहे हैं.
अजमेर लोकसभा के उपचुनाव में रघु शर्मा को मिली जीत बताती है की राजस्थान में अभी भी ब्राह्मण राजनीति के लिए पर्याप्त स्पेस बाकी है. जब प्रत्येक विधानसभा पर जातिगत समीकरणों को आधार बनाकर टिकट दिए जाते हैं तो लंबे समय तक ब्राह्मण जाति को नजरअंदाज करना संभव नहीं है. राजस्थान की राजनीति के जानकार और ब्राह्मण नेता मानते हैं कि कांग्रेस को अपने सुनहरे दौर को फिर से लौट आना है तो उसे ब्राह्मण सियासत को फिर से साधने की जरूरत है.
1949 से 1990 तक का दौर रहा सुनहरा
1949 से लेकर 1951 तक राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री रहे. उसके बाद 1951 से 1952 तक जयनारायण व्यास मुख्यमंत्री बने. 3 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952 तक टीकाराम पालीवाल मुख्यमंत्री रहे. 1 नवंबर 1952 से 12 नवंबर 1954 तक जयनारायण व्यास मुख्यमंत्री पद पर रहे. इसके बाद 11 अगस्त 1973 से 29 अप्रैल 1977 तक हरिदेव जोशी ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली. 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 तक हरिदेव जोशी एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद पर रहे. इसके बाद राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री के तौर पर 4 दिसंबर 1989 से 4 मार्च 1990 तक हरिदेव जोशी का आखिरी कार्यकाल रहा. इसके बाद राजस्थान की राजनीति एक अलग दिशा में मोड़ गई कांग्रेस की कमान अशोक गहलोत के हाथों में रही तो भाजपा की उसे राजपूत नेता के तौर पर पहले भैरोंसिंह शेखावत और फिर वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद संभाला
पिछले चुनाव में ब्राह्मण नेताओं को मिले थे केवल 17 टिकट
पिछली बार राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में टिकट की अगर बात की जाए तो कांग्रेस में ब्राह्मण नेताओं को 17 टिकट दिए गए थे और लोकसभा में एक भी नहीं था. जबकि इस बार भी ब्राह्मण नेताओं को टिकट के लिए भारी संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस में संगठन की बात करें तो एआईसीसी में राजस्थान से कोई ब्राह्मण पदाधिकारी नहीं है. पीसीसी में तीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष में एक भी ब्राह्मण नहीं है. 39 जिला अध्यक्ष में से केवल चार ब्राह्मण जिलाध्यक्ष हैं. दोसा देवली उनियारा सामान्य सीट है लेकिन वहां दूसरी जातियों को टिकट मिलते हैं. जयपुर शहर की बात करें तो 5 विधानसभा सीट जब होती थीं. तब 3 पर ब्राह्मण परिवार होते थे. अब जब 8 विधानसभा सीट हो गई हैं तो केवल 2 को ही टिकट मिलती है. जयपुर जिले की 19 सीटों में से 3 विधानसभा सीट पर ही ब्राह्मण चुनाव लड़ते हैं. राजस्थान में वर्तमान में कांग्रेस में केवल एक भंवरलाल शर्मा ही ब्राह्मण नेता है.
सीपी जोशी कभी थे सीएम पद के दावेदार, अब हुए कमजोर
ये हकीकत है कि वर्तमान राजनीति में ब्राह्मण नेताओं के लिए कांग्रेस में जगह बनाना बेहद मुश्किल हो गया है. वर्तमान में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति दो महत्वपूर्ण नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के इर्द-गिर्द घूम रही है. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव तक सीपी जोशी कांग्रेस में cm पद के एक मजबूत दावेदार हुआ करते थे. लेकिन केंद्र में कमजोर स्थिति होने के बाद जिस तरह से सीपी जोशी को सीडब्ल्यूसी से भी बाहर किया गया है उससे उनका कद लगातार कम हुआ है. हालांकि अभी भी उनके चुनावी कैंपेनिंग कमेटी के चेयरमैन तौर पर बनाए जाने की चर्चाएं अक्सर आती है. लेकिन यह सबको पता है कि अशोक गहलोत को सचिन पायलट के मुकाबले में सीपी जोशी कहीं पीछे रह गए हैं.