नई दिल्ली। कांग्रेस के ज्यादातर राज्यों के नेता चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन हो. दिल्ली में कांग्रेस के आला नेताओं को प्रदेश के नेताओं ने कही अपने मन की बात. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए सहयोगी दलों की तलाश के लिए कांग्रेस पार्टी ने मंथन शुरू कर दिया है. कांग्रेस पार्टी के कोर ग्रुप के नेताओं ने सोमवार को दिल्ली में कई राज्यों के प्रमुख नेताओं से राय मशविरा भी किया.
राज्यों के नेताओं के साथ हुई इस बैठक में एक बात सबसे अहम थी कि चाहे महाराष्ट्र के नेता हो, हरियाणा के नेता हो या फिर कर्नाटक के नेता. सबने 2019 लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी के साथ गठबंधन की वक़ालत की. राज्यों के नेताओं ने लोकसभा चुनाव में अपने अपने राज्य में मायावती के दलित वोट बैंक की अहमियत बताते हुए, बसपा के साथ सीट शेयर करने के फायदे भी गिनाए. दरअसल हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मायावती से कांग्रेस का गठबंधन नहीं होने से कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ी हुई है और उन्हें हार का डर सता रहा है. कुछ नेता तो यह भी कह रहे हैं कि अगर 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन नहीं हुआ तो अमेठी और रायबरेली सीट को बचाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ेगी.
हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरने के बावजूद जेडीएस और कांग्रेस की सरकार बनवाने में मायावती की अहम भूमिका रही थी. यही नहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह में जिस तरह से मायावती और सोनिया गांधी के मिलने की तस्वीर सामने आई थी, उसके बाद बसपा और कांग्रेस के देशव्यापी गठबंधन को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे लेकिन छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश चुनाव में मायावती के दाव ने कांग्रेस को सकते में डाल दिया है.
सवाल ये है कि क्या कांग्रेस के आला नेता अपने लोकल नेताओं की राय पर अमल करेंगे क्योंकि इसके लिए उन्हें मायावती को ज्यादातर राज्यों में सम्मानजनक सीट देनी पड़ेगी. या फिर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के तर्ज पर कांग्रेस 2019 की लड़ाई भी अकेले ही लड़ने की तैयारी करेगी.