नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से पूछा है कि आखिर लंबी अवधि के होम लोन की फ्लोटिंग ब्याज दर इतनी अधिक क्यों है, जबकि ब्याज दरों में बीते एक साल में कमी आई है. कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान मनी लाइफ फाउंडेशन की याचिका पर रिजर्व बैंक से यह सवाल किया है. कोर्ट ने कहा कि आरबीआई याचिकाकर्ता को बताए कि दीर्घअवधि के फ्लोटिंग लोन रेट कम करने के बारे में उसने क्या फैसला लिया है और वह इस योजना पर कैसे आगे बढ़ेगा.
मनी लाइफ ने दाखिल की है याचिका
मनी लाइफ फाउंडेशन ने अपनी याचिका में पूछा था कि जब ब्याज दरों में कमी आई तो क्यों दीर्घअवधि के लोन इतने महंगे क्यों हैं. इसका लाभ ग्राहकों को नहीं मिल पा रहा है. घर खरीदने के लिए होम लोन के जरिए उन्हें अधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा है. कोई भी खरीदार संपत्ति खरीदते समय 80% फाइनेंस कराता है. लोन की राशि इतनी बड़ी होती है कि उसे 5 से 10 साल में आसानी से नहीं चुकाया जाता तो ग्राहक 15 से 25 साल या उससे अधिक की अवधि का लोन लेते हैं. ऐसे में ग्राहक को ब्याज के रूप में भारी रकम बैंक को अदा करनी पड़ती है.
रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया
भारतीय रिजर्व बैंक नेे हाल में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो रेट 6.25% पर बरकरार रखा है. MPC के 6 सदस्यों में 5 ने ब्याज दर नहीं बढ़ाने के पक्ष में वोट किया. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा. वित्त वर्ष 2019-20 में वृद्धि 7.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है. इससे पहले लगातार 2 मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाया गया था. कच्चे तेल में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट के कारण महंगाई बढ़ने की आशंका को देखते हुए विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को बढ़ाया जा सकता है.