नई दिल्ली। कुछ दिन पहले तक अपनी गरीबी और संघर्ष के लिए चर्चा में रहने वाले यशस्वी जायसवाल ने आखिरकार अब अपने खेल से पहचान बना ली है. उन्होंने अंडर-19 एशिया कप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ का जीत लिया है. यशस्वी ने इस टूर्नामेंट के तीन मैच में 214 रन बनाए. वे एशिया कप खेलकर सोमवार को स्वदेश लौटे, जहां कोच ज्वाला सिंह समेत कई लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे.
भारत ने रविवार को श्रीलंका को हराकर अंडर-19 एशिया कप जीता. ओपनर यशस्वी ने मैच मे सबसे अधिक 85 रन बनाए. वे टूर्नामेंट में एकमात्र बल्लेबाज रहे, जिसने 200 से अधिक रन बनाए. यशस्वी इससे पहले जुलाई में तब चर्चा में आए थे, जब उन्हें सचिन तेंदुलकर ने घर बुलाकर बैट गिफ्ट किया था. सचिन को यशस्वी के बारे में बेटे अर्जुन से पता चला था. अर्जुन और यशस्वी जुलाई में श्रीलंका का दौरा करने वाले अंडर-19 टीम में शामिल थे.
क्रिकेटर बनने के लिए यूपी से मुंबई पहुंचे यशस्वी
यूपी के यशस्वी जायसवाल की कहानी संघर्ष से भरी पड़ी है. वे क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन भदोही में छोटी सी दुकान चलाने वाले पिता के पास कोचिंग कराने के पैसे नहीं थे. इसके बाद यशस्वी 10-11 साल की उम्र में मुंबई आ गए, जहां उनके चाचा रहते थे. चाचा की माली हालत भी ऐसी ना थी कि वे उसे कोचिंग करवा पाते. चाचा के कहने पर मुस्लिम यूनाइटेड क्लब ने यशस्वी को अपने टेंट में रहने की अनुमति दे दी, जहां कुछ और बच्चे रहते थे.
टेंट में रहते हुए क्रिकेट खेला, पानी पूरी भी बेची
यशस्वी मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के टेंट में रहने लगे. पिता घर से बेटे यशस्वी को कुछ पैसे भेजते रहते, लेकिन यह कभी भी पर्याप्त नहीं होते थे. इस पर इस छोटे से बालक ने दूसरा रास्ता निकाला. यशस्वी क्रिकेट खेलते और खेल से बचे समय में कुछ काम भी करते. वे खेल से वक्त बचाकर पानी पूरी बेचने लगे. कभी-कभी फल भी बेच लेते थे. इससे उनका गुजारा होने लगा.
कोच ज्वाला सिंह से पहली बार 2013 में मिले
यशस्वी के क्रिकेट को संवारने का श्रेय कोच ज्वाला सिंह को जाता है. ज्वाला सिंह ने बताया, ‘मैंने यशस्वी को पहली बार 2013 में आजाद मैदान पर नेट्स पर बैटिंग करते हुए देखा. तब वह 11-12 साल का रहा होगा. यशस्वी से बात करने पर पता चला कि वह टेंट में रहता है. मैं यह सुनकर हैरान था कि इतना छोटा बच्चा टेंट में इसलिए रहता है, ताकि उसे खेलने का मौका मिलता रहे. मैंने उसे घर बुलाया. उससे बातचीत और नेट्स पर खेल देखने के बाद फिर फ्री कोचिंग देनी शुरू कर दी.’
बहुत निगेटिव बातें करने लगा था यशस्वी : कोच
कोच ज्वाला सिंह बताते हैं, ‘मुझे लगा कि इस लड़के को स्ट्रॉन्ग सपोर्ट की जरूरत है. अगर उसे सपोर्ट नहीं मिला तो इसका टैलेंट खत्म हो जाएगा, क्योंकि मुंबई जैसे शहर में ना तो उसके रहने का ठिकाना था और ना खाने का. लोग उसके बारे में निगेटिव बातें करते. कहते कि तुम यहां पर नहीं खेल पाओगे. इसी कारण यशस्वी भी निगेटिव हो गया था. वह भी निगेटिव बातें करने लगा था. तब मैंने उसे फुली सपोर्ट करने का निर्णय लिया. तब से आज तक वह मेरे साथ ही है. मेरे साथ ही रहता है.’
14 साल की उम्र में बनाया लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड
यशस्वी जायसवाल के नाम एक ही मैच में तिहरा शतक लगाने और 10 से अधिक विकेट लेने का लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है. ज्वाला सिंह ने बताया कि यशस्वी जब 14 साल का था तब उसने जाइल्स शील्ड क्रिकेट टूर्नामेंट के एक मैच में 319 रन की पारी खेली थी और उसी मैच की दोनों पारियों में कुल 13 विकेट झटके थे. यशस्वी का यह खेल देखकर उन्हें भरोसा हो गया कि यह लड़का सीनियर क्रिकेट में भी बेहतर प्रदर्शन करने का दम रखता है.
जल्दी ही रणजी टीम में आ जाएगा यशस्वी : कोच
ज्वाला सिंह बताते हैं कि जाइल्स शील्ड के इस प्रदर्शन के बाद यशस्वी की राह थोड़ी आसान हो गई. उसे मुंबई की अंडर-16 टीम में जगह मिल गई. फिर अंडर-19 टीम के लिए खेला. अब वह इंडिया के लिए अंडर-19 टीम में खेल रहा है. मुझे लगता है कि जल्दी ही वह रणजी टीम में भी जगह बना लेगा.