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सपा या बसपा ने नहीं तोड़ा कांग्रेस से गठबंधन बल्कि कांग्रेस ने सपा-बसपा से किया किनारा

लखनऊ। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बीच गुरुवार को दिल्ली में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर विचार-विमर्श हुआ. इसका खुलासा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार किया. बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे एवं अशोक गहलोत तथा राकांपा के प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे.

ध्यान देने योग्य बात यह है कि शुक्रवार को ही एनसीपी ने मध्य प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की. एनसीपी की मध्य प्रदेश इकाई ने बकायदा पार्टी का घोषणा पत्र भी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जारी कर दिया. हालांकि मध्य प्रदेश में एनसीपी का उतना प्रभाव नहीं है लेकिन कांग्रेस से बात जरूर नहीं बनी. एक सवाल यह भी है क्या राहुल और पवार के बीच बैठक में मध्य प्रदेश चुनाव पर चर्चा नहीं हुई होगी? कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र में गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन मध्य प्रदेश में नहीं. क्या कांग्रेस ने जानबूझकर रणनीति के तहत मध्य प्रदेश में बसपा-सपा से गठबंधन नहीं किया?

कांग्रेस की रणनीति तो कुछ इसी ओर इशारा करती है. कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्य विपक्षी पार्टी है. सपा-बसपा का प्रभाव पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं के बराबर रहा. इन तीनों चुनावों में कई सर्वे में कांग्रेस के मजबूत होने की बात कही गई है. इसलिए पार्टी ने संगठन के भरोसे अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति बनाई है. एक और तथ्य जो इस रणनीति की पुष्टि करता है, वह यह है कि जब सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने गोड़वाना गणतंत्र पार्टी से मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही थी, तब उन्होंने यह भी कहा था कि आखिर हम गठबंधन के लिए कब तक इंतजार करें.

विधानसभा चुनावों के परिणाम तय करेंगे महागठबंधन
बसपा-सपा से गठबंधन नहीं हो पाने पर जब मीडिया में सवाल उठाए गए तो कांग्रेस ने सधी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में नहीं पड़ेगा. बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी खुलकर कांग्रेस पर हमला नहीं कर रहे हैं. मायावती ने जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में अलग से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सीधा हमला करने से परहेज किया था. कुलमिलाकर, तीनों पार्टियों ने लोकसभा के गठबंधन के रास्ते अभी बंद नहीं किए. अगर तीन राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूत रही तो लोकसभा चुनाव में उसका दांव मजबूत हो जाएगा और वह महागठबंधन में अधिक से अधिक सीटों की मांग सामने रख सकती है.

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