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एक पैर के साथ एवरेस्ट जीतने वाली अरुणिमा को मिलेगा ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी से सम्मान

नई दिल्ली। कृत्रिम पैर होने के बावजूद फौलादी इरादों के बूते दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी ‘माउंट एवरेस्‍ट’ को फतह करने वाली विश्‍व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्‍हा की इस उपलब्धि को अब ब्रिटेन में भी सम्‍मान मिलने जा रहा है. ग्‍लासगो की एक यूनीवर्सिटी ने उन्‍हें डॉक्‍टरेट की मानद उपाधि से सम्‍मानित करने का फैसला किया है.

ग्‍लासगो स्थित यूनीवर्सिटी ऑफ स्‍ट्रैथक्‍लाइड ने अरुणिमा को ‘डॉक्‍टर ऑफ यूनीवर्सिटी’ की मानद उपाधि से सम्‍मानित करने का न्‍यौता भेजा है. उन्‍हें आगामी छह नवम्‍बर को यह सम्‍मान दिया जाएगा. अरुणिमा ने अपनी इस उपलब्धि को साझा करते हुए बताया कि यूनीवर्सिटी ऑफ स्‍ट्रैथक्‍लाइड के प्रिंसिपल प्रोफेसर जिम मैक्‍डोनल्‍ड के कार्यालय की तरफ से हाल में पत्र भेजकर उन्‍हें मानद उपाधि से सम्‍मानित करने की पेशकश की गयी थी. उन्‍होंने यह प्रस्‍ताव स्‍वीकार करते हुए इसके लिये छह नवम्‍बर की तारीख दी है.

‘पद्मश्री’ से सम्‍मानित अरुणिमा ने इसे अपने करियर में मील का एक और पत्‍थर करार देते हुए कहा कि उन्‍हें इसकी बेहद खुशी है. उनका मानना है कि यह सम्‍मान उन्‍हें विदेश में व्‍यापक फलक पर भी परचम लहराने का मौका देगा. हालांकि देश-दुनिया में लोग उनसे परिचित हैं, लेकिन यह सम्‍मान उन्‍हें एक और पहचान देगा.

‘बॉर्न अगेन ऑन द माउंटेन’ पुस्‍तक की लेखिका अरुणिमा ने कहा कि एक पर्वतारोही के रूप में उनके अब तक के सफर में उन्‍होंने बहुत कुछ सीखा है. वह चाहती हैं कि अपनी इस उपलब्धि का फायदा अपने देश के साथ-साथ पूरी दुनिया के नौजवानों को पहुंचाएं. मालूम हो कि वर्ष 2011 में एक घटना में अपना बायां पैर गंवाने वाली अरुणिमा ने 21 मई 2013 को एवरेस्‍ट पर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया था. अप्रैल 2011 में दिल्‍ली जा रही एक ट्रेन में लूट का विरोध करने पर बदमाशों ने उन्‍हें चलती गाड़ी से बाहर फेंक दिया था. बगल की पटरी से आ रही एक ट्रेन की चपेट में आने से उनका बायां पैर कट गया था.

महीनों अस्‍पताल में जिंदगी के लिये संघर्ष करने के बाद उन्‍होंने ठीक होने पर एवरेस्‍ट पर जाने का संकल्‍प लिया था. मशहूर पर्वतारोही बछेन्‍द्री पाल की सरपरस्‍ती में इस चुनौती को पार पाने की तैयारी करने वाली अरुणिमा ने अपने चट्टानी इरादों के बूते कृत्रिम पैर लगाकर एवरेस्‍ट फतह किया था. ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली महिला हैं. अरुणिमा के जीवन संघर्ष पर एक फिल्‍म का निर्माण भी हो रहा है, जिसकी शूटिंग जल्‍द ही शुरू होने की सम्‍भावना है.

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