लखनऊ। उत्तर प्रदेश के साधु-संतों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या टाइटल सूट मामले की सुनवाई जनवरी तक स्थगित करने पर निराशा जाहिर की. महंत परमहंस दास ने कहा कि हिंदू समुदाय और साधु-संतों में लंबी प्रतीक्षा करने का धैर्य नहीं है. दास हाल ही में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण शीघ्र कराने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे. उन्होंने बीजेपी से राम मंदिर का निर्माण आरंभ करने की घोषणा जल्द करने को कहा. उन्होंने कहा कि इस कार्य में विफल होने पर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) को हिंदुओं के कोप का भाजन बनना पड़ेगा.
उन्होंने कहा, “भाजपा राम मंदिर निर्माण का वादा करके केंद्र और उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई. अब वादा पूरा करने का समय आ गया है.” राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि शीर्ष अदालत द्वारा विलंब किए जाने से भगवान राम को लंबे समय तक तंबू में इंतजार करना पड़ेगा. मामले में मुस्लिम वादी इकबाल अंसारी ने भी कहा कि वह इस बात से खिन्न हैं कि भगवान राम की मूर्ति तंबू में है. हालांकि उन्होंने कहा कि हर किसी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए और यह दोनों पक्षों को मान्य होगा.
अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष जितेंद्रानंद सरस्वती ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में आगे किसी भी प्रकार का विलंब नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे सर्वोच्च न्यायाल की सुनवाई का इंतजार नहीं करेंगे, बल्कि राम मंदिर निर्माण के लिए संसद में विधेयक लाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव डालेंगे.
निर्मोही अखाड़ा के एक प्रवक्ता ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के मसले को लेकर उनका भाजपा सरकार से भरोसा उठ गया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा उसको वह स्वीकार करेंगे. सर्वोच्च न्यालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा मामले में सुनवाई जनवरी तक स्थगित किए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “स्थगित होने से सही संदेश नहीं गया है.”