बॉलीवुड में ये साल सेलिब्रेटीज वेडिंग के लिए खास रहा जहां दीपिका-रणवीर की शादी के क्रेज से फैंस अभी बाहर नहीं आ पाएं हैं. वहीं देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी का वेन्यू फिक्स होने की खबरें सामने आ रही हैं. दीपिका ने जहां इटली के लेक कोमो में शादी के फेरे लिए तो वहीं प्रियंका ने देश के सबसे रॉयल शहर को अपना वेडिंग डेस्टिनेशन चुना है. डेली मेल में छपी एक खबर की मानें तो प्रियंका-निक जोधपुर के उमेद पैलेस में सात फेरे लेंगे.
सूत्रों की मानें तो प्रियंका चोपड़ा मंगेतर निक जोनस के साथ एक दिसंबर शादी करने जा रही हैं. प्रियंका अपनी शादी भारतीय परंपरा के अनुसार, राजस्थान के उमेद भवन पैलेस में करेंगी. उमेद भवन अपने शाही अंदाज और रॉयल इतिहास के लिए जाना जाता है. डेली मेल के अनुसार, इस पैलेस में वेडिंग वेन्यू का किराया 60,000 डॉलर पर नाइट यानी 43,15,500.00 रुपये है. बता दें कि शुक्रवार को प्रियंका चोपड़ा अपनी मां मधु चोपड़ा के साथ यहां का जायजा लेने पहुंच थीं.
एक दिन रूकने का किराया 66 हजार रुपये
प्रियंका चोपड़ा ने उमेद भवन में शादी के लिए अपने परिवार और करीबी लोगों के लिए 65 विशेष सजावट वाले रूम बुक कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि यहां रुकने का एक रात का खर्च 922 डॉलर यानी करीब 66 हजार रुपये है. यह पैलेस और होटल 52 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें बगीचा, स्वीमिंग पूल, स्पा, मसाज रूम और योगा रूम आदि हैं. उमेद भवन के दरवाजे पहली बार 1942 में खोले गए और तब से काफी समय बाद तक यह जोधपुर राजपरिवार का शाही निवास स्थान रहा.
(फोटो साभार : @HeritageHotelIndia)
महारानी सुइट में रूकेंगे प्रियंका-निक
उमेद भवन पैलेस देश का ऐसा राजमहल जहां की सजावट और वैभव लोगों को यहां खींच लाता है. इस होटल में का सबसे चर्चित रूम महारानी सुइट है. माना जा रहा है कि प्रियंका और निक जोनस महारानी सुइट में ही ठहरेंगे. 1 और 2 दिसंबर को प्रियंका और निक की शादी के चलते सभी रूम बुक हो गए हैं. खबर है कि नीता अंबानी ने अपनी 50वीं सालगिरह भी इसी महल में रखी है.
दुनिया का छठवां सबसे बड़ा महल
उमेद भवन पैलेस राजस्थानी आर्किटेक्चर का नायाब नमूना है. एक वक्त में जोधपुर राजघराने का परिवार यहीं रहा करता था. इस महल को महाराज उम्मेद सिंह ने 1928 से 1943 के बीच बनवाया था. इसको तैयार करने का काम उन्होंने ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी वॉन लॉनचेस्टर को सौंपा था. उस समय जब इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था तब किसान और यहां के मजदूरों को लंबे समय तक रोजगार मिल गया था. इस महल को तैयार होने में 14 साल का वक्त लगा था और महाराज उम्मेद सिंह अपने जीवन के महज 4 साल (1944 से 1947) ही यहां बिता सके. उसके बाद उनके पुत्र और उत्तराधिकारी हनवंत सिंह को यह महल विरासत में मिला. इसे दुनिया का छठवां सबसे बड़ा महल माना जाता है. वतर्मान में ताज होटेल्स की कुछ हिस्सेदारी भी इस होटल में है.