नई दिल्ली। टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज वीवीएस लक्ष्मण ने हाल ही में अपने क्रिकेट करियर के दौरान कुछ रोचक बातें बताईं. वीवीएस ने अपने क्रिकेटीय करियर जीवन के दो अहम किरदारों के बारे में बात की. ये दो किरदार हैं वीरेंद्र सहवाग और एमएस धोनी. वीवीएस जब टीम इंडिया के नियमित बल्लेबाज थे, उस दौरान वीरेंद्र सहवाग टीम इंडिया में नए-नए आए थे. इसके अलावा अपने करियर के अंतिम दौर में वीवीएस को टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी को भी करीब से देखने और समझने का मौका मिला. वीवीएस ने इन दोनों के खुद से जुड़े रोचक किस्से बताए.
वीवीएस को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में खेली 281 रनों की पारी के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जिसे टीम इंडिया ने फॉलोऑन खेलने के बाद भी जीत लिया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार वीवीएस ने सहवाग के आत्मविश्वास और धोनी के शांत और परिपक्व स्वाभाव के बारे में रोचक अनुभव साझा किए. वीवीएस लक्ष्मण स्वीकार करते हैं कि वे वीरेंद्र सहवाग के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. लक्ष्मण ने बताया, “जब मैंने सहवाग को सबसे पहले बल्लेबाजी करते देखा था, तब मुझे नहीं लगा था कि उनमें सर्वोच्च स्तर तक लगातार सफल रहने वाली बात है.”
साल 2000 की बात है
वीवीएस के मुताबिक, “वीरेंद्र सहवाग की प्रतिभा साल 2000 में टीम इंडिया की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के दौरान नजर आई. बैंगलुरू में हुए पहले मैच में वीरू ने 58 रन ठोकें और अपनी ऑफ स्पिन से तीन विकेट भी लिए. इस प्रदर्शन के लिए वे मैन ऑफ द मैच भी रहे थे. इससे पहले ही पुणे वनडे से पहले मैं वीरू और जाक (जहीर खान) डिनर के लिए गए”
तिहरा शतक का दावा और वीवीएस हैरान
उन्होंने कहा, “वीरू ने मुझे बताया, ‘लक्ष्मण भाई, आपके पास कोलकाता टेस्ट में तिहरा शतक लगाने के बाद लेकिन दुर्भाग्य से आप नहीं बना सके. अब आप इंतजार कीजिए और देखिए, मैं टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लागने वाला पहला भारतीय बनूंगा.’ मैं हैरान रह गया था और मैंने उन्हें इस हैरानी से घूर कर देखा. इस लड़के ने अभी केवल 4 वनडे खेले हैं. टेस्ट में चुने जाने के यह आसपास भी नहीं है और यहां यह इतना बड़ा दावा कर रहा है. मैंने यह भी सोचा कि वे मजाक कर रहे हैं, लेकिन वीरू पूरी तरह गंभीर थे. इमानदारी से कहूं कि मैं नहीं जानता था कि इस कैसे रिएक्ट करूं.”
दूसरों की तरह सामान्य अभ्यास ही करते थे वीरू
लक्ष्मण के मुतबाकि वीरू की तैयारी दूसरों की तरह ही थी. वे चीजों को समान्य और कम ही रखते थे. वे कभी खास तैयारी करता नहीं दिखे, वे नेट पर बल्लेबाजी का अभ्यास करते थे, अपने खाते के कैच लेते थे, और फिर ड्रेसिंग रूम में आराम करते थे. कोई अतिरिक्त काम नहीं, कोई अतिरिक्त ब्ललेबाजी नहीं. उन्होंने बताया, “वे मजाक के लहजे में हमसे कहते थे, “आप मैच में ज्यादा गेंद खेलते होगे, प्रैक्टिस में नहीं.” आप इस तर्क पर बहस नहीं कर सकते, तब तो बिलकुल नहीं जब ये सब उसके लिए ज्यादातर काम कर जाते थे.”
तिहरे शतक के बाद, अपना ऐलान याद दिलाया
मुल्तान के तिहरे शतक के बाद वे मेरे पास आए और उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैंने आपसे कहा था, वीवीएस.” मैं शायद खुश नहीं होता कि मेरा 281 का रिकॉर्ड टूट गया, जिस देश ने दुनिया को इतने महान बल्लेबाज दिए हैं, लेकिन कोई तिहरा शतक लगाने वाला खिलाड़ी नहीं दिया, अजीब था. वीरू ने सीधे वह रिकॉर्ड बना डाला. उन्हें अपनी भविष्यवाणी पूरी करने में केवल तीन से कम का वक्त लगा. मैं जानना चाहता था कि उन्हें पुणे यह भविष्यवाणी करने का आत्मविश्वास कहां से मिला. उन्होंने बताया, ‘तिहरा शतक लगाने के लिए आपको तेजी से रन बनाने होते हैं वीवीएस. इस भारतीय टीम में, मैने किसी और को यह करते नहीं देखा.’ जैसे वे किसी बच्चे को समझा रहे हों. यह उन्होंने किसी घमंड से नहीं बल्कि अपनी बुद्धिमानी और खेल की समझ से कहा था. वे जानते थे कि उसृनके मिजाज, जोखिम लेने की क्षमता की वजह से उनके पास दूसरों के मकाबले 300 रन बनाने का बेहतर मौका है.
धोनी का प्रभावित करने वाला शांत और धैर्य स्वाभाव
धोनी का शांत और धैर्य स्वाभाव महान है, उन्होंने 2011 के इंग्लैंड दौरे तक सफलता के अलावा और कुछ नहीं देखा था. हमने इंग्लैंड में सीरीज 0-4 से गंवाई और साल के अंत तक ऑस्ट्रेलिया से तीन टेस्ट पहले ही गंवा चुके थे और एक क्लीन स्वीप के नजदीक थे. मैं परेशान था, बाकि खिलाड़ियों की तरह, लेकिन एमएस आश्चर्यजनक रूप से शांत थे, उन्होंने कोई आलोचना नहीं की, कोई खामी नहीं निकाली थी. कहीं भी उन्होंने यह लगने नहीं दिया कि वे किसी तरह से परेशान या लाचार थे. मुझे गर्व रहता था कि मैं हर परिस्थिति में शांत रह सकता था, लेकिन धोनी खुद को किसी दूसरे ही स्तर पर ले गए जब उन्होंने मुझसे कहा, ‘लाछी भाई, निराश या खिन्न होने की जरूरत ही क्या है? यह सब हमारे प्रदर्शन को और खराब करेगा.’
सबके लिए खुले रहते थे दरवाजे
एमएस के साथ जुड़ी वीवीएस की यादों में एक नागपुर की है जो खास है. उन्होंने बताया, “वहां होटल में हम मेरे 100वें टेस्ट के लिए बस से जा रहे थे. मैं अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पायाकि टीम का कप्तान ही हमारी बस चला रहा है. अनिल कुंबले के रिटायर होने के बाद यह उसका पहला टेस्ट था, लगता था कि उसे दुनिया की कोई परवाह नहीं है. लेकिन वे ऐसे ही थे शांत और नियंत्रित. एमएस ने खुशी और हंसी मजाक कभी नहीं खोया. मैंने उनके जैसा कोई भी इंसान नहीं देखा. जब से वे टीम में आए थे, उनका रूम सभी के लिए खुला था, और मेरे आखिरी टेस्ट में भी, जब तक वे भारत के सफलतम कप्तान बन चुके थे. उन्होंने अपने दरवाजे कभी बंद नहीं होते थे जबतक कि वे सोने के लिए न चले जाएं.‘
वीवीएस का इकलौता, लेकिन अनचाहा विवाद
वीवीएस ने बताया, “ जब मैंने मीडिया को अपने रिटायर होने के निर्णय के बारे में बताया, मुझसे पूछा गया, क्या आपने साथी खिलाड़ियों को फैसले के बारे में बताया है?, मैंने कहा, “हां”. “क्या आपने धोनी से बात की, उनका क्या कहना है?” मैंने मजाक में कहा, “सब जानते हैं कि धोनी तक पहुंचना कितना कठिन है” मुझे तब जरा भी अंदाजा नहीं था कि इससे मेरे क्रिकेट करियर का पहला और एकमात्र विवाद खड़ा हो जाएगा. मैंने अनजाने में ही मीडिया को मसाला दे दिया था, जिसने यह बात फैला दी की मैंने एमएस के साथ मतभेदों के चलते संन्यास ले लिया था. यह उस वक्त मजाक नहीं था, लेकिन एक अखबार में हेडलाइल छपी थी, ‘वीवीएस रिटायर्ड हर्ट’.”
परिपक्वता की मिसाल
विवाद के बाद धोनी का सामना करने वाले उस लम्हें को याद करते हुए वीवीएस ने कहा, “मैंने टेस्ट खत्म होने का इंतजार किया और अपने सभी साथियों, सपोर्ट स्टाफ से व्यक्तिगत तौर मिलने होटल पहुंचे, तब एमएस मुझे मिले तब उन्होंने मुझे देखा और उसके बाद वे ठहाका लगाकर हंस पड़े और कहा, लक्ष्मण भाई, आप इन विवादों के आदी नहीं हैं, लेकिन मैं हूं. इसे दिल पर न लें. हम सब जानते हैं कि कई बार अच्छी कहानी के बीच में तथ्यों को नहीं आना चाहिए.” एक बार फिर मैं उनकी परिपक्वता, उनका सादगी और सहजता का सामना कर रहा था.
बकौल वीवीएस, “आज भी बार बार खंडन करने के बाद, लोग मुझे बताते हैं, पूछते नहीं हैं, बताते हैं, कि मैं एमएस की वजह से रिटायर हुआ था. मैंने इससे अब प्रभावित न होना सीख लिया है.”