नागौर। राजस्थान में 7 दिसंबर को होने वाले चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इसी कड़ी में प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों द्वारा लगातार चुनावी सभाओं का दौर जारी है. शुक्रवार को नागौर में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीधे रॉबर्ड वाड्रा पर हमला करते हुए कहा, एक बहुत बड़ी कम्पनी को हजारों करोड़ कालोन मिला और कमीशन दामाद (वाड्रा) के खाते में गई.
दरअसल, अमित शाह बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं और जनता को संबोधित करते हुए मोदी सरकार और राजे सरकार की उपलब्धियां भी गिना रहे हैं. लेकिन इसी बीच वह लगातार कांग्रेस को भी अपने निशाने पर ले रहे हैं. इसी क्रम में शुक्रवार को जनता को संबोधित करते हुए शाह ने सीधे वाड्रा पर हमला बोलते हुए कहा, कि एक बहुत बड़ी कंपनी को करोड़ो का लोन मिला था और उसका कमीशन दामाद के खाते में गया. उन्होंने आगे कहा, लोन लेकर काम करने वाले इसलिए भागे क्योंकि उन्हें सलाखों के पीछे जाने का डर था. कांग्रेस के वक्त इसलिए नहीं भागे क्योंकि उनके कांग्रेस के साथ गेहरे रिश्ते थे.
उन्होंने कहा, कांग्रेस के वक्त वो लोग लोन को रिन्यू पर रिन्यू करते थे. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए आगे कहा, कांग्रेस गांधी नेहरू परिवार की प्राइवेट लिमिटेड फर्म है. शाह ने कहा, जिसे भारत माता की जय बोलने में शर्म आती है वो चुल्लू भर पानी में डूब मरे. कांग्रेस को न देश की चिंता है न राजस्थान की. वहीं शाह ने मनमोहन सरकार को मोनी सरकार बताया.
क्या है वाड्रा का पूरा मामला
दरअसल, बीकानेर में विवादास्पद भूमि लेनदेन के मामले में जांच के वक्त प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर निपटान आयोग से भूषण पावर लिमिटेड एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) से जुड़े सभी विवरण मांगे थे. यह वही कंपनी है जिसने रॉबट वाड्रा की कंपनी को लागत से 7 गुना ज्यादा दाम पर जमीन खरीदने के लिए कर्ज दिया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 201-12 में बीपीएसएल ने दिल्ली बेस्ड एलेजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड को 5.64 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. रिकॉर्ड्स के अनुसार इस पैसे का इस्तेमाल वाड्रा के स्वामित्व वाली स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने बीकानेर में जमीन खरीदने के लिए किया था. वहीं 2011 में ही निपटान आयोग ने एक आदेश भी जारी किया था. जिसमें उसने स्वीकार किया था कि उसने आयकर विभाग के खिलाफ बीपीएसएल के आवेदन को स्वीकार किया था. जिसके बाद आयकर विभाग द्वारा बीपीसीएल के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि वह 2004-05 से लेकर 2011-12 तक कंपनी के जिन खातों में 800 करोड़ से ज्यादा की राशि हैं उन्हें जोड़े.