लखनऊ। यूपी एक नए जातीय समीकरण की तरफ बढ़ रहा है. कोटे में कोटे का जिन्न एक बार फिर बाहर निकला है. दरअसल यूपी में ओबीसी आरक्षण में बंटवारे का फ़ॉर्मूला तैयार हो चुका है. उत्तर प्रदेश पिछड़ा समाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट योगी सरकार को सौंप दी है. दावा है कि रिपोर्ट में ओबीसी आरक्षण कोटे में बंटवारे की सिफारिश की गई है. फिलहाल इस पर अंतिम फैसला सीएम योगी आदित्यनाथ को लेना हैं
आरक्षण में बंटवारे का फ़ॉर्मूला
उत्तर-प्रदेश पिछड़ा सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी के 27 फिसदी आरक्षण को 7-11-9 के फार्मूले पर बांटने की सिफारिश की है. समिति ने इसके लिए तीन वर्ग पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव दिया है.
इसके तहत 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा. यानि पिछड़ा के 7 फिसदी आरक्षण, अति पिछड़ा को 11 फिसदी और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9 फ़ीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है. इस रिपोर्ट में पिछड़ा वर्ग में 12 जातियां, 59 जातियों को अति पिछड़ा और 79 जातियों सर्वाधिक पिछड़ों की श्रेणी में रखा गया हैं.
4 सदस्यीय कमेटी ने दी सिफारिशें
उत्तर-प्रदेश पिछड़ा समाजिक न्याय समिति का गठन 10 जून 2018 को योगी सरकार ने किया था. रिटायर्ड जस्टिस राघवेंद्र कुमार के अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गाय था. कुछ दिन पहले ही इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है और इस रिपोर्ट को परीक्षण के लिए समाज कल्याण विभाग को भेज दिया गया है.
लोकसभा तक ठंडे बस्तें में सिफारिशें
कहा जा रहा है कि सरकार की मंशा इस रिपोर्ट की सिफारिशों को फिलहाल लागू करने की नही है. लिहाजा 2019 के लोकसभा चुनाव तक इसे ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है. इस फैसले के पीछे भी एक बड़ी वजह है. कहा जा रहा कि सरकार ओबीसी में मजबूत जातियों को चुनाव से पहले नाराज नहीं करना चाहती. बीजेपी मानती है कि यूपी में बड़ी जीत के पीछे ओबीसी वोट बैंक रहा है. लिहाजा इस लोकसभा चुनाव में सरकार इन जातियों को नराज करने का रिस्क नही लेना चाहती है.