Friday , November 22 2024

सीटों का समीकरण: UP में बसपा 37 और सपा 36 सीटों पर साथ लड़ेंगी- सूत्र

लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी को‍ घेरने के लिए यूपी में सपाबसपा का गठबंधन फाइनल हो गया है. सूत्रों के मुताबिक सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से सबसे सबसे ज्‍यादा सीटों पर बसपा मैदान में होगी. फॉर्मूले के तहत बीएसपी-37 और सपा-36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस महागठबंधन में कई छोटे दलों को भी शामिल किया गया है. इसके तहत रालोद-3, एसबीएसपी-1, निषाद पार्टी-1 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. इस प्रकार यह महागठबंधन कुल मिलाकर 78 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी उतारेगा.

सूत्रों के मुताबिक अमेठी और रायबरेली सीट पर महागठबंधन अपने प्रत्‍याशियों को नहीं उतारेगा. अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस नेता क्रमश: राहुल गांधी और सोनिया गांधी लोकसभा सदस्‍य हैं. इस प्रकार साफ हो गया है कि ये सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई हैं लेकिन कांग्रेस इस महागठबंधन का हिस्‍सा नहीं होगी.

गठबंधन का गणित
1. यूपी में बीजेपी की सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी विपक्षी गठबंधन में बातचीत कर रहे हैं, सूत्रों के मुताबिक सपा-बसपा यूपी में 1 सीट SBSP को देंगी. देवरिया ज़िले की सलेमपुर लोकसभा सीट SBSP को जा सकती है.

2. गोरखपुर फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया था और निषाद पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था, जिसके बाद सपा ने योगी के गृह जनपद में बीजेपी को हराया. सपा-बसपा 2019 के चुनाव में निषाद पार्टी को भी 1 सीट देगी. बनारस से सटी भदोही सीट निषाद पार्टी को जा सकती है.

3. सपा-बसपा गठबंधन 1 सीट यूपी की जनवादी पार्टी को देगी. संजय चौहान की जनवादी पार्टी के पूर्वांचल के कई ज़िलों में चौहान वोट बैंक में ख़ास असर है. लेकिन इस दल का प्रत्‍याशी सपा के चुनाव चिन्‍ह पर मैदान में उतरेगा. इस तरह सपा की 36 सीटों में ही इसको एडजस्‍ट किया जाएगा.

4. कैराना लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और RLD ने गठबंधन किया और सपा की तबस्सुम बेगम को आरएलडी ने अपने सिंबल पर टिकट दिया. ये सीट RLD जीत गई, इस बार सपा-बसपा गठबंधन RLD को लोकसभा की 3 सीटें दे सकती है. मुज़फ्फरनगर, बागपत और अमरोहा सीटें आरएलडी के कोटे में जा सकती है. मुज़फ्फरनगर से चौधरी अजित सिंह चुनाव लड़ सकते हैं.

5. बीएसपी 37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी….पश्चिमी यूपी की अधिकतर सीटें बसपा के पास जा सकती हैं. बीएसपी अध्यक्ष मायावती भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं.  क्योंकि इस वक्त मायावती किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं. सहारनपुर हिंसा के बाद मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था. सूत्रों के मुताबिक बीएसपी अपने कोटे की सीटों के प्रत्याशियों को तैयारी के लिए भी कह चुकी है.

सूत्रों के मुताबिक सपा और बसपा ने दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ने का फैसला किया है.(फाइल फोटो)

6. सपा 36 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मध्य यूपी और पूर्वांचल की अधिकतर सीटें सपा के पास जाएंगी. अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे और इस बार डिंपल यादव लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी. मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

7. कांग्रेस को यूपी में सपा-बसपा इसलिए साथ नहीं ले रहे हैं क्योंकि कांग्रेस, राहुल गांधी को पहले ही पीएम उम्मीदवार के तौर पर कई जगह पेश कर चुकी है. राहुल गांधी पीएम चेहरे के तौर पर अखिलेश-मायावती को क़ुबूल नहीं हैं. इसके अलावा कांग्रेस ने हाल ही के राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में सपा-बसपा को गठबंधन के तहत सीटें नहीं दी, जिसकी वजह से सपा-बसपा कांग्रेस से नाराज़ हो गईं.

8. सिर्फ इतना ही नहीं, यूपी में सपा-बसपा अपने वोट बैंक को किसी भी सूरत में कांग्रेस की तरफ शिफ्ट नहीं होने देंगी, क्योंकि आज से 30 साल पहले सपा-बसपा का वोट बैंक कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था. मायावती का दलित वोट बैंक और अखिलेश का यादव-मुस्लिम समीकरण. सूत्रों के मुताबिक गठबंधन की शुरुआती बातचीत में सपा-बसपा ने कांग्रेस को 10 सीटों का ऑफ़र किया था लेकिन कांग्रेस यूपी में 25-30 सीटें मांग रही है.

9. यूपी में कांग्रेस के साथ रहने या ना रहने से सपा-बसपा की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यूपी में कांग्रेस अपना जनाधार खो चुकी है. सिर्फ लोकसभा की 2 सीटें कांग्रेस के पास हैं और वो भी परिवार तक ही सीमित है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 7 विधानसभा सीटें जीती जो कि अनुप्रिया पटेल के अपना दल से भी कम थीं. अपना दल (एस) के 9 विधायक यूपी में जीते थे.

10. यूपी में कांग्रेस का संगठन बेहद कमज़ोर हो चुका है. सपा-बसपा इस बात को बख़ूबी जानती हैं कि यूपी में जो सीटें कांग्रेस को दी जाएंगी, वहीं बीजेपी के लिए लड़ाई आसान हो जाएगी. दरअसल अगर पूरे यूपी को देखा जाए तो कांग्रेस के पास 10 से ज़्यादा जिताऊ उम्मीदवार भी नहीं हैं. यूपी में 20% मुस्लिम, 21% दलित, 8% यादव, 5% कुर्मी, 11% ब्राह्मण, 6% ठाकुर, 25% ओबीसी वोट बैंक है. कांग्रेस के पास यूपी में किसी भी जाति का वोट बैंक नहीं बचा है. किसानों का विकल्प भी कांग्रेस यूपी में नहीं बन पाई है. यूपी में कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है.

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch