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13 बार गांधी परिवार से मुक्त रही कांग्रेस, तब चुनावों में सफलता भी मिली

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफे की चिट्ठी ट्वीटर पर पोस्ट कर दी है. अब कहा जा रहा है कि पार्टी गांधी परिवार से इतर किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की तैयारी में है. खुद राहुल गांधी इसको लेकर पहले भी संकेत दे चुके हैं. अगर सचमुच ऐसा हुआ तो दो दशक बाद कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष नसीब होगा. अगर पार्टी के इतिहास की बात करें तो 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 18 अध्यक्ष हुए हैं. जिसमें सिर्फ 5 अध्यक्ष ही गांधी परिवार से रहे, जबकि 13 अध्यक्ष का गांधी परिवार से दूर-दूर तक नाता नहीं रहा. हां यह सच है कि गांधी परिवार के सदस्यों के पास पार्टी की कमान ज्यादा समय तक रही.

गैर कांग्रेस अध्यक्षों ने भी दिलाई सत्ता

आजादी के बाद से देखें तो कांग्रेस में 18 अध्यक्ष हुए हैं. जिसमें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही गांधी परिवार से अध्यक्ष बने. जबकि 13 अध्यक्षों का नाता गांधी परिवार से नहीं रहा. 1951 से 54 के बीच तक नेहरू प्रधानमंत्री रहने के दौरान पार्टी अध्यक्ष भी रहे. रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ 1959 को छोड़कर 1955 से लेकर 1978 तक कांग्रेस की कमान गैर गांधी व्यक्ति के पास रही. इस दौरान कांग्रेस की ही सत्ता रही. इंदिरा गांधी ने 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बहुमत की सरकार भी गैर गांधी अध्यक्ष के कार्यकाल में बनाई. आइए जानते हैं कि 1947 के बाद से कब-कब कांग्रेस गांधी परिवार से मुक्त रही.

1947: देश आजाद हुआ तो 1947 में जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. उन्हें मेरठ में कांग्रेस के अधिवेशन में यह जिम्मेदारी मिली थी. उन्हें महात्मा गांधी के भरोसेमंद व्यक्तियों में माना जाता था.

1948-49 : इस दौरान कांग्रेस की कमान पट्टाभि सीतारमैया के पास रही. जयपुर कांफ्रेंस की उन्होंने अध्यक्षता की.

1950: इस वर्ष पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नासिक अधिवेशन की उन्होंने अध्यक्षता की. यह पुरुषोत्तम दास टंडन ही थे, जिन्होंने हिंदी को आधिकारिक भाषा देने की मांग की.

1955 से 1959: यूएन ढेबर इस बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. 1959 में इंदिरा गांधी अध्यक्ष बनीं.

1960-1963: नीलम संजीव रेड्डी इस दरम्यान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्होंने बंगलूरु, भावनगर और पटना के अधिवेशनों की अध्यक्षता की. बाद में नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति हुए.

1964-1967: इस दौरान भारतीय राजनीति में किंगमेकर कहे जाने वाले के कामराज कांग्रेस के अध्यक्ष हुए. उन्होंने भुबनेश्वर, दुर्गापुर और जयपुर के अधिवेशन की अध्यक्षता की. कहा जाता है कि यह के कामराज ही थे, जिन्होंने पं. नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने में अहम भूमिका निभाई.

1968-1969: एस. निजलिंगप्पा ने 1968 से 1969 तक कांग्रेस की अध्यक्षता की. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था.

1970-71:  बाबू जगजीवन राम 1970-71 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. इससे पहले 1946 में बनी नेहरू की अंतरिम सरकार में वह सबसे नौजवान मंत्री रह चुके थे.

1972-74:  शंकर दयाल शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने. नीलम संजीव रेड्डी के बाद शंकर दयाल शर्मा दूसरे अध्यक्ष रहे, जिन्हें बाद में राष्ट्रपति बनने का मौका मिला.

1975-77: देवकांत बरुआ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. यह इमरजेंसी का दौर था. देवकांत बरुआ ने ही इंदिरा इज इंडिया और इंडिया इज इंदिरा का चर्चित नारा दिया था.

1977-78: इस दौरान ब्रह्मनंद रेड्डी(Kasu Brahmananda Reddy) कांग्रेस के अध्यक्ष बने. बाद में कांग्रेस का विभाजन हो गया. जिसके बाद इंदिरा गांधी कांग्रेस(आई) की अध्यक्ष बनीं. वह 1984 में हत्या होने तक पद पर रहीं. उसके बाद 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

1992-96: राजीव गांधी की हत्या के बाद पीवी नरसिम्हा राव 1992-96 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देश में उदारीकरण की नींव पड़ी थी.

1996-98: सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने. वह 1996-1998 तक इस पद पर रहे. सीताराम केसरी का विवादों से भी नाता रहा. इसके बाद 1998 से 2017 तक सबसे लंबे समय तक सोनिया गांधी अध्यक्ष रहीं. फिर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने.

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