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एक गलती और तबाह हो गया अंबाती रायडू का करियर, इस वजह से करना पड़ा संन्यास का ऐलान

अंबाती रायडू को क्रिकेट जगत के ऐसे खिलाड़ी के तौर पर याद किया जाएगा, जो अपनी दुर्लभ क्रिकेट प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाया, प्रतिभाशाली बल्लेबाज जो खेल नहीं बल्कि राजनीति की वजह से मैदान से बाहर हो गया। विश्वकप टीम में नजरअंदाज किये जाने से आहत अंबाती ने बुधवार को हमेशा के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

बोर्ड ने किया नजरअंदाज
टीम में पिछले दो साल से नंबर चार के प्रबल दावेदार रहे अंबाती रायडू को विश्वकप टीम में नजरअंदाज किया गया, उनकी जगह विजय शंकर को मौका दिया गया, हालांकि आलोचनाओं के बाद बीसीसीआई ने उन्हें रिजर्व खिलाड़ी बनाया, लेकिन जरुरत पड़ने पर फिर उन्हें नजरअंदाज करते हुए किसी और को जगह दे दी गई, जिससे अंबाती के सब्र का बांध टूट पड़ा।

बीसीसीआई को लिखा लेटर
अपने मुखर स्वाभाव के लिये जाने जाने वाले अंबाती ने बीसीसीआई को लेटर लिखकर संन्यास का ऐलान कर दिया, उन्होने अपने कप्तानों को धन्यवाद भी कहा, आपको बता दें कि अंबाती मनमौजी व्यक्तित्व के जाने पहचाने जाते हैं, कई बार मैदान पर भी उन्होने अपना ये रुप दिखाया है।

अंडर 19 के कप्तान
अपने क्रिकेट करियर के दौरान इस हैदराबादी बल्लेबाज के कई उतार चढाव देखे, इन्होने 16 साल की उम्र में बल्ले से तहलका मचा दिया था, 2002 में अंडर 19 क्रिकेट खेलते हुए उन्होने इंग्लैंड के खिलाफ 177 रनों की पारी खेल इन्होने सबका ध्यान खींचा था, फिर रणजी में धमाकेदार डेब्यू किया, हैदराबाद के लिये खेलते हुए उन्होने दोहरा शतक लगाया था, साल 2004 में अंडर-19 टीम की कप्तानी मिली, तब शिखर धवन, आरपी सिंह और दिनेश कार्तिक जैसे सितारों से सजी टीम ने विश्वकप में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था, हालांकि इसके बाद अंबाती की करियर ग्राफ नीचे आया, एक तो बल्ले से रन नहीं निकल रहे थे, दूसरी ओर कोच और फिर अंपायर से लड़ बैठे।

बीसीसीआई से कर दी बगावत
अंबाती रायडू की जिंदगी में सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब साल 2008 में उन्होने 21 साल की उम्र में बीसीसीआई से बगावत कर दी, उन्होने आईसीएल में खेलने का फैसला लिया, हालांकि बाद में बीसीसीआई ने उन पर बैन हटाया लेकिन शर्तों के साथ, जिसके बाद उनकी एंट्री आईपीएल में हुई।

आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन
अंबाती ने 2010 में मुंबई इंडियंस की ओर से खेलते हुए सबका ध्यान खींचा, जिसके बाद उन्हें टीम इंडिया के लिये डेब्यू का मौका मिला, 2013 में 27 साल की उम्र में उन्हें जिम्बॉब्बे दौरे पर भेजा गया, जहां डेब्यू मैच में ही उन्होने 63 रनों की पारी खेली। फिर 2015 विश्वकप टीम में जगह मिली, लेकिन एक भी मैच में खेलने का मौका नहीं मिला, 2019 में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद विश्वकप टीम में जगह नहीं मिली, जिसके बाद नाराज होकर उन्होने संन्यास का ऐलान कर दिया।

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