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मरकज पर चलेगा बुलडोजर, अवैध है 7 मंजिला बिल्डिंग: जमात ने किया गैर-कानूनी निर्माण, टैक्स भी नहीं भरा

नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के बड़े स्रोत बने राजधानी दिल्ली स्थित निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मुख्यालय के ‘अच्छे दिन’ आखिरकार अब समाप्त होने जा रहे हैं। दरअसल इस कार्यक्रम के सामने आने के बाद से एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे मामलों से पर्दा उठा है, जिन्हें लेकर अब तक किसी का भी ध्यान इनकी ओर नहीं गया था।

गृह मंत्रालय ने ऐसे जमातियों, जिन्होंने हाल ही में भारत की यात्रा की है और वीजा नियमों व शर्तों की अवहेलना की है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनके वीजा निरस्त करने के साथ ही उन्हें ब्लैकलिस्ट किया। इसके बाद सबसे बड़ी गाज अब इस मरकज के मूल, यानी इस बिल्डिंग पर गिरने वाली है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, शासन ने अपनी जाँच में पाया है कि दक्षिणी दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज का निर्माण नियमों को ताक पर रखकर किया गया है। यही नहीं, जिस जमीन पर इस मरकज का निर्माण हुआ है, उसके मालिकाना हक से जुड़े कागजात भी दक्षिण दिल्ली नगर निगम (South Delhi Municipal Corporation) के पास नहीं हैं। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमिटी के डिप्टी चेयरमैन राजपाल सिंह ने बताया कि बिल्डिंग को सील कर दिया गया है। अब इसे ढहाने की कार्रवाई के लिए फाइल तैयार की जा रही है।

बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों ने इसके अवैध निर्माण की बार-बार शिकायत भी की, लेकिन न तो निगम ने कोई कार्रवाई की और न ही पुलिस या अन्य किसी विभाग ने इस पर ध्यान दिया। ज्ञात हो कि भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने भी अक्सर दिल्ली में मौजूद अवैध मस्जिद, कब्रिस्तान आदि के मामलों को उठाया है। उन्होंने बताया था कि 54 सरकारी जमीनों पर मस्जिदों का अवैध कब्जा है।

कागज और वैधता के सबूत माँगने पर मुशर्रफ (जो कि इंतजामिया कमिटी, मरकज के सदस्य हैं) का कहना है कि मरकज का निर्माण नियमानुसार किया गया है, और उनके पास इसके सभी कागज भी हैं। लेकिन 21 दिन के लॉकडाउन के कारण उन्हें कागज ढूँढने में परेशानी आ रही है। मुशर्रफ का कहना है कि हालात सामान्य होते ही वो दस्तावेज (कागज) पेश कर देंगे।

तबलीगी मस्जिद के इस मामले के प्रकाश में आने के बाद अब नया सवाल यह है कि ऐसे और भी कितनी मजहबी जगह हो सकती हैं, जिनके निर्माण से लेकर उनमें होने वाली गतिविधियाँ भी संदेह के घेरे में आती हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली स्थित मरकज की इमारत को नियमों का उल्लंघन कर बनाया गया था। इस मामले में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मरकज की इमारत दो प्लॉट जोड़कर बनाई गई है, जबकि यह कुल 7 मंजिला इमारत है। इस इमारत के निर्माण के लिए मात्र दो फ्लोर का नक्शा ही पारित है, इसके बावजूद इसे सात मंजिला बनाया गया है। यही नहीं, मरकज की इस इमारत का कभी हाउस टैक्स और प्रॉपर्टी टैक्स भी नहीं भरा गया। बताया जा रहा है कि इस हिसाब से मरकज की बिल्डिंग पर लाखों रुपए का हाउस टैक्स बकाया निकल सकता है।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) के अनुसार, मरकज से पहले इस जगह सिर्फ एक मस्जिद थी और वर्ष 1992 में मदरसे को तोड़कर इस जगह पर एक मदरसे का निर्माण किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि धीरे-धीरे इस जगह पर तकरीबन 70% हिस्से का अवैध निर्माण कर मरकज की इमारत तैयार की गई। घनी आबादी में बनी इस बिल्डिंग में आग से सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं है और न ही कभी अग्निशमन विभाग से एनओसी ली गई है।

इन विवादों के बीच जानकारी मिल रही है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इस इमारत से संबंधित दस्तावेजों को खंगाल रहा है और अब इस इमारत के अवैध निर्माण को तोड़ने की तमाम कागजी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

मरकज की बिल्डिंग रिहायशी इलाके में करीब 2,000 गज में बनी है। जबकि नियमानुसार इसकी ऊँचाई 15 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए, वहीं इसकी ऊँचाई 25 मीटर पाई गई है। ख़ास बात यह है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की बिल्डिंग इस मरकज के पास ही स्थित होने के बावजूद यहाँ पर अवैध रूप से सात मंजिला भवन का निर्माण कर लिया गया।

उल्लेखनीय है कि तबलीगी जमात के देशी-विदेशी ‘कार्यकर्ता’ साल भर देश के अलग-अलग इलाकों में मजहबी उपदेश देने या ‘चिल्ला’ के लिए दौरे पर रहते हैं। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान समेत विभिन्न राष्ट्रों से लोग तबलीगी गतिविधियों के लिए आते हैं। भारत में ये लोग पर्यटक वीजा के नाम पर धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के अपराधी पाए गए हैं।

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