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गुरु ग्रंथ साहिब में 1,000 से अधिक बार ‘अल्लाह’ नहीं, हरि, प्रभु और राम: ‘अब्बा जान’ से चिढ़े हर्ष मंदर फिर साबित हुए फेक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार (13 सितंबर) को ‘अब्बा जान’ शब्द का इस्तेमाल करने पर तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने उन पर निशाना साधा है। उन्होंने अति उत्साही होकर बेतुका बयान दिया है, ”अल्लाह शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब में 1,000 से अधिक बार आता है। सिख गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को एक जीवित गुरु मानते हैं और इसे अत्यंत सम्मान के साथ रखते हैं।”


हर्ष मंदर के ट्वीट का स्क्रीनशॉट जहाँ उन्होंने दावा किया कि अल्लाह शब्द 1,000 से अधिक बार गुरु ग्रंथ साहिब जी में आता है

शोध करने पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भगवान का वर्णन करने वाले शब्दों के उपयोग से जुड़े कई संदर्भ पाए गए हैं। इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के बारे में थोड़ा समझना जरूरी है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की एक भौतिक प्रति है, जिसे पंजाबी में बीर भी कहा जाता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब छह सिख गुरुओं, 15 संतों द्वारा लिखे गए भजनों का एक संग्रह है, जिसमें भगत कबीर, भगत रविदास, शेख फरीद, भगत नामदेव, 11 भट्ट (गीतकार) और 4 सिख शामिल हैं।

गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिखों का ‘जीवित गुरु’ माना जाता है। सभी सिख गुरु ग्रंथ साहिब जी को अत्यंत सम्मान के साथ रखते हैं। उनका मानना है कि सभी 10 गुरु अलग-अलग शरीरों में एक ही आत्मा थे और गुरु ग्रंथ साहिब उनका शाश्वत भौतिक और आध्यात्मिक रूप है। गुरु ग्रंथ साहिब जी भजनों और कविताओं का एक संग्रह है। इसमें सच्चे गुरु और अपने भगवान की भक्ति के महत्व पर जोर दिया गया है। 1708 में गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का जीवित गुरु घोषित किया था।

यह इस दुनिया का एकमात्र धर्मग्रंथ है, जिसमें न केवल संस्थापकों के काम हैं, बल्कि अन्य धर्मों के आध्यात्मिक गुरुओं का लेखन भी है। हालाँकि, छंदों में मुख्य रूप से सिख गुरुओं के कार्य शामिल है। पवित्र पुस्तक में भगत, भट्ट, पीर, शेख फरीद और गुरसिख शामिल हैं। इस प्रकार, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भगवान को कई नामों से जाना जाता है।

क्या गुरु ग्रंथ साहिब जी में ईश्वर को अल्लाह कहा गया है?

हाँ, श्री गुरु नानक देव जी द्वारा लिखे गए ‘ਬਾਬਾ ਅਲਹੁ ਅਗਮ ਅਪਾਰੁ’ जैसे छंद हैं जिसका अर्थ है ‘हे बाबा, भगवान अल्लाह दुर्गम और अनंत है’, यहाँ ‘अल्लाह‘ शब्द का इस्तेमाल भगवान को संदर्भित करने के लिए किया गया है। बाबा फरीद द्वारा लिखे गए श्लोक में कहा गया है, “ਭਿਜਉ ਸਿਜਉ ਕੰਬਲੀ ਅਲਹੁ ਵਰਸਉ ਮੇਹੁ” जिसका अर्थ है, “कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरा कंबल भीग गया है, अल्लाह की बारिश जारी रहनी चाहिए।” इसी प्रकार बाबा फरीद द्वारा छंदों में ‘अल्लाह’ शब्द का प्रयोग 12 बार और गुरु नानक देव जी, गुरु अर्जुन देव जी और संत कबीर द्वारा 18 बार किया गया है।

गुरु ग्रंथ साहिब जी में एक शब्द के रूप में अल्लाह ईश्वर को संदर्भित करता है और यह एकमात्र शब्द नहीं है जिसका उपयोग पवित्र पुस्तक में किया गया है। हरि, जो हिंदू शास्त्रों में भगवान विष्णु को कहा जाता है, उसका श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में 8,344 बार भगवान शब्द के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह राम का 2,533 बार, प्रभु का 1,371 बार और गोपाल का 491 बार उल्लेख किया गया है।

हर्ष मंदर ने यह बात सही कही है कि गुरु ग्रंथ साहिब जी में ‘अल्लाह’ का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन यह इस्लाम के बारे में नहीं था। बल्कि हरि के समान ईश्वर का वर्णन करने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा मंदर ने कहा कि उन्हें उनके दादा ने बताया था कि यह 1,000 से अधिक बार आता है। वास्तव में पवित्र पुस्तक में ‘अल्लाह‘ शब्द का इस्तेमाल कुछ ही बार किया गया है।

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