श्रीनगर। कश्मीर घाटी में रोजी-रोटी कमाने गए कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों ने वापस अपने घरों काे रास्ता पकड़ लिया है। कोई बस में सवार हो लौट रहा है तो कोई हवाई जहाज की टिकट खरीद रहा है। कई जगह प्रशासन ने कश्मीरी हिंदुओं को रोकने के लिए उनकी कालोनियों में आने-जाने का रास्ता भी कथित तौर पर बंद कर दिया है। प्रशासन कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के निकलने की खबरों को निराधार बता रहा है जबकि इंटरनेट मीडिया पर कई जगह कश्मीरी हिंदुओं ने अपना सामान समेट कश्मीर से बाहर निकलने के अपने वीडियो भी अपलोड किए हैं।
स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने जहां पूरी वादी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है, वहीं सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सभी गैर मुस्लिम अध्यापकों को उनकी इच्छा के अनुरुप किसी जगह विशेष पर ही तैनात करें। सभी जिला उपायुक्तों के कार्यालय में विस्थापित कश्मीरी हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों की समस्याओं व मुद्दों के निदान के लिए विशेष प्रकोष्ठ भी बनाए जा रहे हैं। पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद से कश्मीर में आतंकियों व अलगाववादियों का एजेंडा पूरी तरह नाकाम हो गया है। इससे हताश आतंकी संगठनों ने कश्मीर में मुख्यधारा से जुड़े लोगों को विशेषकर पुलिसकर्मियों और विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की टारगेट किलिंग का सिलसिला शुरु किया है।
आतंकी संगठनों ने कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों को कई बार कश्मीर छोड़ने का फरमान सुनाते हुए उन पर कश्मीर के मुस्लिम बहुल चरित्र को बदलने की साजिश का हिस्सा होने का आराेप लगाया है। आतंकियों ने आज भी राजस्थान से कश्मीर में नौकरी करने आए एक बैंककर्मी विजय कुमार की हत्या की है। लगातार बढ़ रही टारगेट किलिंग की घटनाओं से डरे विस्थापित हिंदू सरकारी कर्मचारियों, जम्मू प्रांत से कश्मीर में कार्यरत अनुसूचित जाति वर्ग के व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों ने कश्मीर से बाहर अपने स्थानांतरण की मांग को लेकर आंदोलन शुरु कर रखा है। प्रशासन ने उन्हें कई बार सुरक्षा का यकीन दिलाया है, लेकिन टारगेट किलिंग का सिलसिला उनमें भय को लगातार बढ़ा रहा है। मट्टन, बटवारा, शेखपोरा, वेस्सु, वीरवान समेत वादी के विभिन्न हिस्सों में स्थित विस्थापित कश्मीरी ट्रांजिट कालोनियों में रहने वाले कई विस्थापित कश्मीरी हिंदू जम्मू के लिए निकल गए हैं। आज भी मट्टन स्थित ट्रांजिट कालोनी में रहने वाले कुछ कश्मीरी हिंदुओं ने जम्मू के लिए रवाना होने का अपना एक वीडियो जारी किया है। जम्मू प्रांत से कश्मीर में कार्यरत कई हिंदू कर्मचारी भी अपने घर लौट आए हैं।
टीआरसी श्रीनगर, पंथाचौक में स्थित टैक्सी स्टैंड पर जम्मू लौटने वालों की भीड़ रही है। श्रीनगर एयरपोर्ट पर भी आज यात्रियों की तादाद सामान्य से ज्यादा होने का दावा किया जा रहा है और इनमें से अधिकांश को विस्थापित कश्मीरी हिंदू व कश्मीर में कार्यरत अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मी बताया जा रहा है। प्रदेश प्रशासन ने विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीर में नौकरी कर रहे अन्य अल्पसंख्यकों के कश्मीर से निकलने की खबरों पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
श्रीनगर एयरपोर्ट के निदेशक ने भी एक ट्वीट कर उन खबरों को निराधार बताया है जिनमें कहा गया है कि टारगेट किलिंग से डरे कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों के जम्मू रवाना होने के कारण आज एयरपोर्ट पर खूब भीड़ रही है। इस बीच, प्रदेश प्रशासन ने आज पूरी वादी में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर उसे नए सिरे से चाक चौबंद बनाया है। सभी संवेदनशील इलाकों और अल्पसंख्यकों की बस्तियाें में सुरक्षाबलों की गश्त बढ़ाने के अलावा वहां अस्थायी सुरक्षा चौकियां भी आवश्यक्तानुरुप स्थापित की जा रही हैं। पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में उन इलाकों में जा रहे हैं,जहां विस्थापित कश्मीरी हिंदु या फिर अन्य अल्पसंख्यक रहते हैं। वह इन लोगों के साथ विचार विमर्शक के आधार पर उनकी सुरक्षा का बंदोबस्त कर रहे हैं।
वादी में कार्यरत विस्थापित कश्मीरी हिंदू व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों को प्रशासन ने जिला मुख्यालयों या फिर वादी में सुरक्षित माने जाने वाले कस्बों में ही तैनात करने का फैसला किया है। शिक्षा निदेशालय कश्मीर ने आज सभी जिला मुख्य शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों को उनके साथ विचार-विमर्श के आधार पर सुरक्षित जगहों पर तैनात करें। अगर कोई दंपत्ति है, तो उसे एक ही जगह नियुक्त किया जाए। मंडलायुक्त कश्मीर पांडुरंग के पाेले ने कहा कि हमने सभी विभागों से कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक कर्मियों की सूची मांगी है। इसके आधार पर हम इन सभी कर्मियों को सुरक्षित जगहों पर तैनात कर रहे हैं। करीब साढ़े चार हजार कर्मियों को सुरक्षित जगहों पर तैनात भी किया जा चुका है।