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इस काम में चीन को आगे बढ़ने नहीं देगा US, भारत पर लगेगा दांव? PM मोदी और बाइडेन में हो सकती है ये डील!

अगले हफ्ते पीएम मोदी जाएंगे अमेरिकानई दिल्ली। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका और चीन (America-China) आमने-सामने हैं, दोनों के बीच वैसे तो तमाम मुद्दे तनातनी के कारण हैं. लेकिन सेमीकंडक्टर को लेकर दोनों देश एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में है. वहीं इस बीच भारत (India) को बड़ा मौका हाथ लगा है. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रीज में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए भारत ने कदम बढ़ा दिए हैं.

दरअसल, भारत एडवांस्ड माइक्रोचिप या सेमीकंडक्टर (Semiconductor) का बड़ा प्लेयर बनकर उभर सकता है. पिछले साल सितंबर में कैबिनेट ने भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए 76000 करोड़ रुपये की PLI स्कीम को मंजूरी दी थी. अब खबर है कि कैबिनेट फिर सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए 25,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे सकती है.

सेमीकंडक्टर आज की जरूरत

सभी स्मार्ट डिवाइस के लिए चिप यानी सेमीकंडक्टर सबसे जरूरी हिस्सा होता है. इसे स्मार्ट डिवाइसेज का दिमाग भी कहा जा सकता है. किसी डिवाइस या मशीन में जितने ऑटोमैटिक फीचर होंगे, उसे बनाने में चिप की उतनी अधिक जरूरत होती है. यही कारण है कि आज के समय में स्मार्टफोन से लेकर कारों तक में चिप का इस्तेमाल जरूरी हो गया है.

भारत-अमेरिका के बीच हो सकती है डील

पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे से पहले 13 जून को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलविन (Jake Sulwin) ने उनसे मुलाकात की. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से बयान जारी कर ये जानकारी दी गई. PMO के मुताबिक, पीएम मोदी ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती और गहरी होती रणनीतिक साझेदारी पर संतोष जताया है.

पीएम मोदी के इस दौरे पर अमेरिका से रक्षा और महत्वपूर्ण और उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर बात होंगी. जेक सुलविन का कहना है कि सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन पर भारत-अमेरिका सहयोग पर परिणाम बेहतर होंगे. क्योंकि भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के तरीकों पर अमेरिका और भारत मिलकर काम कर रहा है.

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रीज पर भारत का फोकस

सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को अमेरिका में रीशॉर्ट करने के लिए रिसोर्स का निवेश किया है, लेकिन हम भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में योगदान देना चाहते हैं. आगे सुलविन ने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हम बनाना चाहते हैं. अमेरिकी NSA की मानें तो सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग और वैल्यू चेन के हर पहलु में भारतीय इंजीनियरों, डिजाइनरों, स्टार्टअप्स को ट्रेनिंग करने का ऐलान किया जाएगा. सेमीकंडक्टर एप्लीकेशन पर भविष्य में साथ काम करने के लिए भारत और अमेरिका के रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के बीच समझौते होंगे.

500 अरब डॉलर से ज्यादा का मार्केट
बता दें, माइक्रोचिप या सेमीकंडक्टर का बाजार (Semiconductor Market) लगातार बढ़ता जा रहा है. बीते दिनों आई बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेमीकंडक्टर दुनिया में चौथा सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाला प्रोडक्ट है. इसमें दुनिया के 120 देश भागीदार हैं. सेमीकंडक्टर से ज्यादा ट्रेड सिर्फ क्रूड ऑयल (Crude Oil), मोटर व्हीकल व उनके कल-पुर्जों और खाने वाले तेल का ही होता है. Corona से पहले साल 2019 में टोटल ग्लोबल सेमीकंडक्टर ट्रेड की वैल्यू 1.7 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई थी.

भारत को उम्मीद है कि 2026 तक देश का सेमीकंडक्टर मार्केट करीब 63 अरब डॉलर का होगा. सरकार ने इसकी अहमियत को समझते हुए 10 अरब डॉलर के प्रोत्साहन स्कीम की घोषणा की थी. भारत में सेमीकंडक्टर्स की खपत 2030 तक 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पार कर जाने की उम्मीद है. ये एक बड़ी वजह है कि भारत सरकार देश में ही इन चिप्स को तैयार करने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

भारत बनेगा सेमीकंडक्टर हब
पिछले साल एक कार्यक्रम टेलिकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने कहा था कि भारत आने वाले 5 से 6 साल में सेमीकंडक्टर चिप (Semiconductor Chip) डिजाइन के क्षेत्र में दुनिया की कैपिटल बन जाएगा. उन्होंने कहा था कि पहली इंडियन सेमी कंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट की शुरूआत जल्द होने वाली है. हमने अगले 6 साल में चिप का भारत में प्रोडक्शन शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

यही नहीं, देश के जाने-माने उद्योगपति और वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भारत में सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट की स्थापनी करने के लिए (Anil Agarwal) इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज फॉक्सकॉन (Foxconn) के साथ एक करार किया है. दोनों कंपनियों ने सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट (Semiconductor Manufacturing) लगाने के लिए गुजरात सरकार के साथ दो एमओयू भी साइन किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत दोनों कंपनियां गुजरात में 1,54,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी.

Taiwan है असली खिलाड़ी
सेमीकंडक्टर बनाने के लिए जरूरी चीजों का उत्पादन दुनिया के अलग-अलग देशों में होता है. लेकिन मोटे तौर पर इसका उत्पादन ताइवान में होता है. ताइवान, एडवांस्ड सेमीकंडक्टर चिप्स के उत्पादन में सबसे आगे है, यानी ताइवान सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. माइक्रोचिप या सेमीकंडक्टर, उन चीजों में से एक है जिसका व्यापार दुनिया में सबसे ज्यादा होता है. भारत भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के बड़े उपभोक्ता देशों में से एक है. पेट्रोल और सोने के बाद हम सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज ही दूसरे देशों से आयात करते हैं. इसका असेंबलिंग और टेस्टिंग का काम चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया में किया जाता है.

US-China में सेमीकंडक्टर पर तनातनी
अक्टूबर 2022 में अमेरिका ने चीन की कंपनियों को चिप बेचने, चिप बनाने के उपकरण और अमेरिकी सॉफ्टवेयर की सेल पर रोक लगा दी थी. अमेरिका का मानना है कि अगर चीन इस तकनीक का इस्तेमाल अपने लिए करता है, तो ये उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है.

अमेरिका सेमीकंडक्टर बेस्ड डिवाइसेज (Semiconductor Based Devisis) का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इन्हें बनाने वाली 33 फीसदी कंपनियों का हेडक्वार्टर अमेरिका में ही है. वहीं सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की पांच सबसे बड़ी फॉन्ड्रीज में से 2 ताइवान में स्थित हैं. ताइवानी कंपनी TSMC लॉजिक चिप्स बनाती है, जिनता इस्तेमाल डेटा सेंटर्स, एआई सर्वर्स, पर्सनल कम्प्यूटर, स्मार्टफोन में किया जाता है. सेमीकंडक्टर मार्केट के ओवरऑल वैल्यू चेन में ताइवान की हिस्सेदारी 9 फीसदी है, जो चीन के लगभग बराबर है.

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